ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
राज्य
आॅफिस आॅफ प्रोफिट से ध्यान हटाने को रचा गया ईवीएम टेम्परिंग का ड्रामा : मिश्रा
By Deshwani | Publish Date: 22/6/2017 3:22:13 PM
आॅफिस आॅफ प्रोफिट से ध्यान हटाने को रचा गया ईवीएम टेम्परिंग का ड्रामा : मिश्रा

 नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली सरकार के बर्खास्त मंत्री कपिल मिश्रा ने जलबोर्ड की रिपोर्ट में अपने खिलाफ अनियमितता के कोई सबूत न मिलने के बाद नये सिरे से केजरीवाल, उनके मंत्रियों एवं सहयोगियों के खिलाफ मोर्चा खोला है।

कपिल मिश्रा ने ब्लॉग लिखकर केजरीवाल को घेरते हुए कहा कि वे फंस चुके हैं तो चुनाव आयोग से लड़ने का माहौल बनाया जा रहा है। ईवीएम की पूरी लड़ाई इसीलिए ही थी कि जनता को ये दिखाया जाए कि हम चुनाव आयोग से लड़ रहे हैं| इसीलिए हमारे विधायकों की सदस्यता रद्द हो रही है। यह प्रयास केवल चुनाव आयोग को दबाव में लाने की एक कोशिश है।
उन्होंने कहा कि सीएम ने स्वयं यह पटकथा लिखी थी। उन्हें पता था कि आॅफिस आॅफ प्रोफिट मामले में चुनाव आयोग देर-सबेर संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को रद्द कर ही देगा| इसीलिए ईवीएम टेम्पिरिंग का मुद्दा तैयार किया जाये और इसे जोरशोर से फैलाया जाये। केजरीवाल ये भी जानते हैं कि ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है। लेकिन चुनाव आयोग पर दबाव बनाने के लिए यह ड्रामा रचा गया गया ताकि जब चुनाव आयोग उनके संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद्द कर दे तो तब केजरीवाल एवं उनके साथ इस कार्रवाई को अपने खिलाफ बदले की कार्रवाई के तौर पर जोर-शोर से प्रचारित कर सकें। 
मिश्रा ने कहा कि सीएम ने आफिस ऑफ प्रॉफिट में अपने साथियों को एक झूठ बता रखा था कि ये केस अभी तो लंबा चलेगा लेकिन इस झूठ से जल्द परदा हटने वाला है। अब किसी भी दिन चुनाव आयोग इस पर अंतिम निर्णय दे सकता है। जिससे इन 21 विधायकों की सदस्यता जा सकती है। 
पूर्व मंत्री ने कहा कि संसदीय सचिव बने ज्यादातर विधायकों को भी यह पता नहीं है कि आखिर उन्हें संसदीय सचिव बनाने का निर्णय क्यों लिया गया था। एक भी विधायक संसदीय सचिव बनने या पद मांगने सीएम के पास नहीं गया था। इसीलिए कोई ऐसी आवश्यकता नहीं थी कि नियमों को तोड़कर जल्दबाजी में विधायकों की सदस्यता खतरे में डाली जाए। उस पर भी खास बात ये कि मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव का पद पर किसी की नियुक्ति नहीं कि गई जबकि इस पद पर कानूनी रूप से नियुक्ति सही है, उल्टे जो पद नहीं थे, जिन पर कानून लाना आवश्यक था, उन पर गैर कानूनी नियुक्तियां कर दी गईं ।
image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS