कोटा, (हि.स.)। देश के वर्ल्डक्लास भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में एडमिशन के लिए इस बार इंटरनेशनल प्रवेश परीक्षा जेईई-एडवांस्ड में सभी परीक्षार्थियों को 18 बोनस अंकों का तोहफा मिला। 366 अंकों के दोंनों पेपर में पहली बार 18 बोनस अंक मिलने से ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में रैंक का गणित गड़बड़ा गया। मैथ्स व केमिस्ट्री के विशेषज्ञ शिक्षकों ने बताया कि 21 मई को हुए पेपर-1 के बाद परीक्षार्थियों ने कोड के अनुसार विकल्पों में मिस्टेक होने की ऑनलाइन आपत्तियां दर्ज कराई, जिससे आईआईटी बोर्ड ने 11 बोनस अंक देने की घोषणा की। उसके बाद जेईई-एडवांस्ड वेबसाइट पर अधिकृत आंसर की जारी कर दी गई और स्टूडेंट्स से ऑनलाइन फीडबैक लिया गया।
इस वर्ष परीक्षा देने वाले एक लाख 59 हजार 540 परीक्षार्थियों ने अपने प्राप्ताकों का टोटल कर अपनी परफार्मेंस को परख लिया। उन्हें उम्मीद थी कि 11 जून को रिजल्ट घोषित होने पर उन्हें अच्छी रैंक मिलेगी। लेकिन आईआईटी, मद्रास ने फीडबेक के आधार पर शनिवार रात अचानक रिवाइज्ड ‘आंसर की’ दोबारा जारी कर दी। जिसमें दो प्रश्नों से कुल 7 बोनस अंक सभी परीक्षार्थियों को दिए गए। पेपर-1 कोड-1 में मैथ्स में प्रश्न-39 के लिए 4 बोनस अंक मिले क्योंकि इसकी हिंदी व इंग्लिश में प्रिंटिंग मिस्टेक थी। इसी तरह, पेपर-1 के कोड-1 केमिस्ट्री में प्रश्न-29 के लिए 3 अतिरिक्त बोनस अंक सभी को दिए गए। दोनों ही प्रश्नों में आईआईटी ने प्रिंटिंग मिस्टेक स्वीकार की।
इससे मेधावी छात्रों को हुआ नुकसान
विषय विशेषज्ञों का कहना है कि जेईई-एडवांस्ड के पेपर का लेवल स्तरीय होता है, उसमें ऐसी त्रुटियों की उच्च स्तरीय जांच हो। इसके पेपर कंसेप्चुअल होने से उसमें परीक्षार्थी के लिए 1-1 मिनट कीमती होता है। टाइम मैनेजमेंट और एक्यूरेसी से ही माक्र्स मिलते हैं। किसी ‘क’ प्रश्न को हल करने में परीक्षार्थी ने कुछ समय लगाया, दूसरे प्रश्नों के लिए उसका उतना समय कम हो गया। एक गलत प्रश्न को समझने और हल करने में उसे ज्यादा परेशानी हुई। जबकि दूसरे किसी परीक्षार्थी ने ‘क’ प्रश्न को किया ही नहीं, उसे ज्यादा समय मिल गया।
दूसरा, सभी परीक्षार्थियों को एक समान 18 बोनस मार्क्स मिलने से अपेक्षाकृत कमजोर परीक्षार्थी अच्छी रैंक पर आ गए, क्योंकि किसी प्रश्न को हल करने पर उसमें पूरे अंक नहीं मिल पाते हैं। हो सकता है कि 18 अंकों के प्रश्नों को हल करने पर जिन विद्यार्थियों को 7-8 अंक मिल पाते, उन्हें अब पूरे 18 बोनस अंक मिल गए हों। इससे मेधावी स्टूडेंट्स को करारा झटका लगा है। दुनिया में सबसे कठिन मानी जाने वाली प्रवेश परीक्षा में इस वर्ष 18 बोनस अंकों का मामला विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। बोनस अंकों का दोहराव रोकने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी गठित की जानी चाहिए। क्योंकि यह प्रवेश परीक्षा लाखों विद्यार्थियों के कॅरिअर की दिशा तय करती है। आईआईटी छात्रों ने बताया कि इससे पहले 2010 में भी आईआईटी, मद्रास ने जेईई-एडवांस्ड के पेपर में प्रिंटिंग मिस्टेक की थी।