लखनऊ, (हि.स.)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ अपनी मुहिम तेज कर दी है। चंदौली के एआरटीओ का हुआ निलम्बन, इसी कार्रवाई का हिस्सा है।
प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने कहा कि गोपनीय तरीके से जानकारी जुटाई जा रही है और बहुत जल्द ऐसे अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी, जो सरकार की मंशा के अनुरूप सुधरने को तैयार नहीं है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे लोग सबूत इकट्ठा होते ही जेल जाएंगे। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यूपी की विजलेंस टीम ने 11 घूसखोरों को गिरफ्तार किया है। इनमें दो राजपत्रित अधिकारी भी शामिल हैं।
त्रिपाठी ने कहा कि सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री ने ओवरलोडिंग रोकने के आदेश परिवहन विभाग को दिए थे। इसके बाद भी शिकायत मिली थी कि चंदौली में ओवरलोडिंग करा कर अवैध वसूली की जा रही है। जांच के बाद शिकायत सही साबित होते ही एआरटीओ आरएस यादव को सस्पेंड कर दिया गया। इसी तरह की कार्रवाई में आरटीओ सुनीता वर्मा और उनके पति केशव लाल को भी सस्पेंड किया गया था। केशव लाल सेल्स टैक्स विभाग में ज्वाइंट कमिश्नर के पद पर तैनात थे और दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत मिले थे। आरोप था कि पिछली सरकार में दोनों ने भ्रष्टाचार से अकूत दौलत इकट्ठा की थी। सरकार ने इन सभी भ्रष्ट अफसरों की संपत्तियों को लेकर भी गहराई से जांच शुरू करा दी है। आयकर विभाग भी इनके खिलाफ जांच में जुटा हुआ है।
प्रवक्ता ने कहा कि इससे पहले लखनऊ के गौतमपल्ली थाने में भी पीड़ित से वसूली की कोशिश करने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। यूपीएसआइडीसी से लेकर खनन विभाग और प्राधिकरणों तक में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अफसरों और इंजीनियरों के खिलाफ भी तेजी से जांच कराई जा रही है। ये अफसर और इंजीनियर जांच को प्रभावित ना कर सकें, इसके लिए उन्हें पदों से भी हटा दिया गया है।
त्रिपाठी ने कहा कि पारदर्शिता और ईमानदारी लाने के लिए सचिवालय में दलालों की तलाश के भी आदेश दे दिए गए है। सचिवालय के अफसरों और सुरक्षाकर्मियों को ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं तो अवांछनीय गतिविधियों में लिप्त रहते थे। ऐसे सचिवालय कर्मियों की भी सूची बनाई जा रही है जो दलालों के संपर्क थे या उनकी मदद करते थे।
त्रिपाठी ने कहा कि पीडब्लूडी विभाग को भी भ्रष्टाचारियों और माफियाओं से मुक्त कराने का अभियान छेड़ दिया गया है। इसी कार्रवाई के क्रम में तीन दागी कंपनियों को ब्लैकलिस्टेड किया जा चुका है जबकि करीब दो दर्जन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। इतना ही नहीं ऐसे ठेकेदार जिनको गुंडों या माफियाओं का संरक्षण हासिल हैं, उन्हें भी चिन्हित कर उनको ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
त्रिपाठी ने कहा कि विजलेंस और एंटी करप्शन अफसरों को सीधे आदेश दिए गए हैं कि वह खुल कर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। इसके नतीजे दिखने भी लगे हैं। विजलेंस और एंटी करप्शन विभाग ने योगी सरकार बनने के बाद तेजी से नतीजे देने शुरू कर दिए हैं। तमाम अफसर और कर्मचारिओं को घूस लेते पकड़ा गया है। इनमें दो राजपत्रित अधिकारी भी शामिल है। पहले राजपत्रित अधिकारी कन्हैया लाल सारसवत को आगरा में 50 हजार की घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। यह वित्त एवं लेखाधिकारी के पद पर तैनात थे। इसी तरह आजमगढ़ मंडल के सहकारिता विभाग के उपनिबन्धक राजेन्द्र प्रसाद को भी 50 हजार रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया। इन दोनों राजपत्रित अधिकारियों समेत अब तक 11 घूसखोरों को जेल भेजा जा चुका हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि विजलेंस और एंटी करप्शन विभाग को उन पुरानी जांचों को भी तय समय सीमा में पूरा करने को कहा गया है, जिन्हें पिछली सरकारों के दौरान दबा कर रखा गया था। इसके अलावा, सरकार तमाम ऐसे अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ गोपनीय जांच भी करा रही है, जिनके खिलाफ आम राय ठीक नहीं है और जिन पर भ्रष्टाचार के इल्जाम लगते रहे हैं। ऐसे लोग सरकार के निशाने पर हैं और सबूत मिलते ही इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होने जा रही है। त्रिपाठी ने कहा कि सकारात्मक नतीजे आने शुरू भी हो गए हैं और यूपी की बदलाव की राह पर बढ़ता दिख रहा है।