प्रतापगढ़, (हि.स.)| जनपद में एक तरफ जहां पानी की कमी है, वहीं भू-माफिया शहर के बीचों-बीच लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी नहर ही पी गए और अफसर 37 साल में नहर खाली नहीं करा सके। उल्टा उन्होंने इस माइनर में पानी चलाना ही बंद कर दिया जिसकी वजह से ग्राउंड वाटर रिचार्जिग की संभावना भी खत्म हो गई।
प्रतापगढ़ से गुजरने वाली नहर की प्रतापगढ़ ब्रांच के टेल से निकली बेल्हा माइनर करनपुर गांव तक जाती है। नौ किलोमीटर लंबी इस नहर में 80 के दशक से ही अवैध कब्जा शुरू हो गया। भूमाफिया ने करनपुर से नहर को पाटकर कब्जा करना शुरू किया और धीरे-धीरे डेढ़ किलोमीटर में माइनर को पूरा समाप्त कर दिया। उन्होंने बाकायदा नहर पर मकान और सड़कें बनाई, कालोनियां काट दीं। करोड़ों रुपये कीमत की इस सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा होते अफसर खामोशी से देखते रहे।
12 दिसंबर 2013 को पहली बार सिंचाई विभाग ने कुछ सख्ती दिखाते हुए माइनर कब्जा करने वाले टेऊंगा, रूपापुर, सराय खांडेराय व देवकली गांव के 80 लोगों को नोटिस दी। साथ ही खुद जमीन खाली न कराने पर ध्वस्तीकरण की चेतावनी दी। मगर यह कोरी धमकी ही रहा, कहीं इंच भर भी अतिक्रमण हटा नहीं। अब योगी सरकार में सिंचाई विभाग एक बार फिर यह नजर खाली कराने की तैयारी में है। विभागीय मंत्री से लेकर जिले से विधायक आरईएस मंत्री तक नहर में फिर से पानी चलाने का खम ठोक रहे हैं। देखना है भूमाफिया के भारी भरकम दबाव के आगे ये कोशिशें कहां तक रंग लाती हैं।
भू-माफियाओं ने यहां तक कारनामा किया है कि अफसरों की मिलीभगत का नमूना यह रहा कि राजस्व विभाग के रिकार्ड में करनपुर, सगरा व देवकली में नहर का अस्तित्व ही खत्म कर दिया गया। इस बात का खुलासा हुए भी अर्सा हो गया है, लेकिन ना तो रिकार्ड सुधरा और न ही यह गोलमाल करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई। अब ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के मंत्री राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह कहते हैं कि नहर खाली होगी और दोषी अफसरों पर कार्रवाई भी होगी।
इनका है कहना
बेला माइनर पर डेढ़ किलोमीटर में हुआ कब्जा हटाकर उसमें पानी चलाया जाएगा। हालांकि अब टेल के करीब खेत नहीं हैं, फिर भी इससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होगा। जो शासन प्रशासन की प्राथमिकता है।