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अपने आराध्य के प्रति आकंठ भक्ति में डूबे कबीरपंथी
By Deshwani | Publish Date: 9/6/2017 3:34:13 PM वाराणसी, (हि.स.)। श्रम साधक संत कबीर की प्राकट्य तिथि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर शुक्रवार को कबीरपंथी अपने आराध्य के प्रति आकंठ भक्ति में डूबे रहे। उनके अंग-अंग से सन्त के प्रति उत्साह छलकता रहा। सन्त के निर्गुण भजनों पदों के बोल पर अनुयायी झूमते रहे।
कबीरचौरा स्थित सिद्धपीठ मूल गादी मठ में भी अलसुबह से देर शाम तक संत के दर्शन- पूजन के लिए श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहा। इस दौरान मूलगादी ट्रस्ट की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। भंडारे का प्रसाद पाने के लिए कबीरपंथी श्रद्धालुओं में घंटो कतारबद्ध रह अपनी बारी का अनुशासित ढ़ंग से इन्तजार करते रहे। भंडारे का आदर्श पद भी रहा भूखें को भोजन, नंगे को चीर, इतना बाटे संत कबीर। उधर लहरतारा स्थित संत कबीर की उद्भव स्थली पर प्राकट्योत्सव बनाया गया। लहरतारा और कबीरचौरा स्थित मूल गादी मठ में देश भर से आए अनुयायियों व कलाकारों ने कबीर साहब के पद, भजन व निर्गुण गायन किया। इस पर देर रात तक श्रद्धालु झूमते रहे।
इस दौरान श्रद्धालु हजूर अर्धनाम साहब, महंत घनश्याम साहेब, सुमिरन साहेब, चेतन दास साहेब मूलगादी के पीठाधीश्वर विवेक दास ने संत के दोहो और पदों का उल्लेखकर प्रवचन किया।