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इंटर कापी टेंडर घोटाला: मास्टरमाइंड विकास की जमानत याचिका पर सुनवाई पांच को
By Deshwani | Publish Date: 27/4/2017 7:14:03 PM
इंटर कापी टेंडर घोटाला: मास्टरमाइंड विकास की जमानत याचिका पर सुनवाई पांच को

पटना। इंटर कापी टेंडर घोटाला के मास्टरमाइंड विकास कुमार की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई पटना उच्च न्यायालय में अब 05 मई को होगी। न्यायाधीश राजेन्द्र कुमार मिश्रा की एकलपीठ द्वारा इस मामले की सुनवाई की जा रही है। 

गौरतलब है कि इंटर परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को छापने का फर्जी वर्क ऑर्डर देकर गुजरात के बिंदिया इंटरप्राइजेज प्रिंटिंग प्रेस को 8.56 करोड़ रुपये की चपत लगाने वाला विकास कुमार 09 अगस्त 2016 को पश्चिम बंगाल के 24 दक्षिणी परगना स्थित महेशथला से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस उसे बंगाल कोर्ट में प्रस्तुत करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर पटना ले आयी। विकास बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल के माध्यमिक प्रभाग में स्टोर कीपर (भंडारक) के पद पर कार्यरत था।
टेंडर के खेल में सिर्फ प्रिंटिग प्रेस को ही नहीं ठगा गया बल्कि सरकार को भी 55 करोड़ रुपये की चपत लगाई गई थी। दरअसल, पूर्व बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने दामाद विवेक रंजन के कहने पर इंटर परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका छापने का ठेका मथुरा के केसी प्रिंटर्स को दिया गया था, जबकि टेंडर में सबसे कम दर पर छपाई के लिए गुजरात के अहमदाबाद की बिंदिया इंटरप्राइजेज ने आवेदन दिया था। इसके कारण सरकार को 55 करोड़ रुपये के राजस्व की क्षति हुई। एक तरफ बोर्ड ने मथुरा की कंपनी को टेंडर दे दिया जबकि स्टोर कीपर विकास ने जाली दस्तावेज बना बिंदिया इंटरप्राइजेज से 8.56 करोड़ रुपये की कॉपियां मंगवा ली। मेरिट घोटाले में बोर्ड अध्यक्ष लालकेश्वर और पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही बिंदिया इंटरप्राइजेज के मालिक बृजल कुमार भरत भाई साह जब पटना आए तो उन्हें पता चला कि उन्हें जो वर्क आर्डर दिया गया था वह फर्जी था। इस पर उन्होंने कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जिसमें उन्होंने बताया कि विकास ने उन्हें वर्क ऑर्डर दिया था। गौरतलब है कि बिहार बोर्ड में 55 करोड़ रुपये के प्रिंटिंग घोटाले में पुलिस ने विकास कुमार को पहले भी हिरासत में लिया था। हालांकि उसके विरुद्ध साक्ष्य न मिलने के बाद पुलिस ने उसे रिहा कर दिया था। विकास ने विवेक रंजन, लालकेश्वर सहित अन्य लोगों के काले चिठ्ठे खोले थे, इसलिए एसआइटी ने सरकारी गवाह के रूप में कोर्ट में उसका बयान कलमबद्ध कराया था।
टेंडर दिलाने के नाम पर विकास ने बृजल कुमार भरत भाई साह से चार लाख रुपये लिए थे। फिर उसे जाली वर्क ऑर्डर और परीक्षा की फर्जी तिथि भेजी। उन फर्जी दस्तावेजों पर पूर्व सचिव हरिहर नाथ झा के हस्ताक्षर हैं। विकास ने इंटर की परीक्षा की तिथि 11 अप्रैल से 30 जून तक बताई। इसी बीच कॉपियां भी मंगाई गईं जबकि परीक्षा मार्च-अप्रैल में हुई थी। अनुसंधान के क्रम में एसआइटी को जानकारी मिली कि बिंदिया इंटरप्राइजेज की कॉपियां विकास के कहने पर जीरोमाइल के समीप एक वेयर हाउस में रखी गईं थी। वहां से उन्हें रद्दी के भाव बेच दिया गया। इससे विकास को करीब दो करोड़ की कमाई हुई। हालांकि वह इस रकम का वह अकेला हकदार नहीं था।
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