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बिहार
शिक्षकों के कार्य बहिष्कार से हाईस्कूल-इंटर का रिजल्ट लम्बित
By Deshwani | Publish Date: 13/4/2017 5:37:40 PM
शिक्षकों के कार्य बहिष्कार से हाईस्कूल-इंटर का रिजल्ट लम्बित

पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार की दोरंगी नीति का विरोध कर रहे वित रहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा से जुड़े कर्मियों के कार्य बहिष्कार के कारण राज्य में इंटर और मैट्रिक का रिजल्ट समय पर प्रकाशित नहीं हो पायेगा । 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर समान काम के बदले समान वेतन की मांग पर अड़े राज्य के वित रहित कॉलेजों के शिक्षकों का हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दूसरी तरफ बिहार सरकार शिक्षक नेताओं से बात करने में अब तक विफल रही है। करीब 22 दिन से अधिक दिनों से वित रहित शिक्षकों का कार्य बहिष्कार, धरना और सड़कों पर आक्रोश पूर्ण प्रदर्शन लगातार जारी है। सरकार ऐसे शिक्षकों के साथ सम्मानजनक रास्ता निकालने के बजाय धमकी भरा आदेश निकालने में लगी हुई है। सरकार शिक्षकों को बर्खास्त करने तक की धमकी दे रही है। कार्य बहिष्कार में नियोजित शिक्षकों के साथ साथ इंटर और डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों की भारी भागीदारी है। यही वजह है कि राज्यव्यापी इस आंदोलन ने राज्य सरकार की नींद हराम कर दी है। इंटर और डिग्री कॉलेजों को वर्ष 2008 में नीतीश कुमार की सरकार ने वित संपोषित कॉलेज का मान्यता देते हुए मापदंडों पर खरे उतरने वाले कॉलेजों को अनुदान देना शुरू किया था ।
अनुदान की राशि 2008 वर्ष 2009 और वर्ष 2010 तक तो समय से प्राप्त हुआ लेकिन उसके बाद सरकार ने अनुदान की राशि रोक ली। नतीजा हुआ की वित्त रहित कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति खड़ी हो गई । शिक्षक फटेहाली की स्थिति में आ गए। राज्य सरकार की कपटपूर्ण कार्रवाई ने शिक्षकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया और बिहार की उच्च शिक्षा में काफी गिरावट आ गई। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समान काम के बदले समान वेतन देना होगा और सरकार ऐसा नहीं करती है तो शिक्षकों और कर्मियों के साथ दमनकारी नीति मानी जायेगी। तब वित्त रहित शिक्षकों ने मैट्रिक और इंटर की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच करने से हाथ खड़ा कर दिया है।
 
स्थिति यह है कि मूल्यांकन केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है और शिक्षकों का हुजूम बिहार की सड़कों पर न्याय की मांग कर रहा है । यही स्थिति रही और सरकार ने कुछ रास्ता नहीं निकाला तो मैट्रिक और इंटर के परीक्षा परिणाम समय पर नहीं निकल पायेगा और राज्य से बाहर अच्छे संस्थानों में नामांकन कराने की उम्मीद लगाए छात्रों के हाथों निराशा लगेगी। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो जायेगा। राज सरकार को चाहिए की वित्त रहित कॉलेजों के शिक्षकों के सम्मानजनक वेतन की मांग मानते हुए छात्र और राज्य के शिक्षा जगत के हित में आंदोलन को खत्म कराने की पहल करनी चाहिए।
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