गांधी जी को चंपारण बुलाने वाले शुक्ल परिवार को कार्यक्रम का नहीं मिला आमंत्रण, परिवार खफा
पटना। बिहार सरकार ने गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह की सौंवी वर्षगांठ पर विशेष कार्यक्रम आयाजित कर रही है और इस कार्यक्रम में भारतीय स्वाधीनता का अलख जगाने वाले अमर सेनानी स्व. पं. राजुकमार शुक्ल के परिवार को आमंत्रित नही किया गया जिससे परिवार आहत है।
स्व. शुक्ल के नाती रविभूषण राय ने शनिवार को बताया कि राष्ट्रपति की उपस्थिति में मोतिहारी और पटना में चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष आयोजित किया जा रहा है। लेकिन इस समारोह में परिवार के सदस्यों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं मिला है जिससे पूरा परिवार आहत और अपमानित महसूस कर रहा है।
पं. राजकुमार शुक्ल स्मारक न्यास के महासचिव कमलनयन श्रीवास्तव ने बताया कि कार्यक्रम में परिवार के सदस्यों आमंत्रित नहीं किया जाना दु:खत बात है। उन्होंने बिहार सरकार से स्व. शुक्ल के परिवार के सदस्यों को आदरपूर्वक आमंत्रित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है स्व. शुक्ला जी का बिहार राज्य में कोई जीवंत स्मारक, उनकी स्मृति रक्षा के लिए नही बनाया जाना शर्मनाक है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस संबंध में अविलंब कारगर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिनसे मिलकर इश्वर, अहिंसा और सत्य का साक्षात्कार हुआ, उसे सरकार भूल बैठी है। आज उन्हें इतिहास से काटने की साजिश की जा रहीं है, जो एक सांस्कृतिक अपराध है।
बबाते चले कि 48 वर्षीय मोहनदास करमचंद गांधी नील के खेतिहर राजकुमार शुक्ल के बुलावे पर बांकीपुर स्टेशन (अब पटना) पहुंचे थे। उस समय अंग्रेजों द्वारा जबरन नील की खेती कराई जा रही थी। शुक्ला जी ने गांधीजी से अपील की थी कि वह इस मुद्दे पर आंदोलन की अगुवाई करें। उनकी अगुवाई वाले इस आंदोलन से न सिर्फ नील के किसानों की समस्या का त्वरित हल हुआ, बल्कि सत्य, अहिंसा और प्रेम के संदेश ने फिरंगियों के विरुद्ध भारतीयों को एकजुट किया गया था ।