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बिहार में ‘कानून का राज’ स्थापित रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : राज्यपाल
By Deshwani | Publish Date: 26/1/2018 8:14:50 PM
बिहार में ‘कानून का राज’ स्थापित रखना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता : राज्यपाल

पटना, (हि.स.) | बिहार के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने 69 वें ‘गणतंत्र दिवस’ के अवसर पर सुशासन एवं न्याय के साथ विकास के लिए राज्य सरकार के सार्थक प्रयास की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिहार में ‘कानून का राज’ स्थापित रखना सरकार की सर्वोंच्च प्राथमिकता है ।

राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में झंडा फहराते हुए राज्यपाल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध ‘जीरो टालरेंस’ की नीति पर कायम है। ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम’, ‘सुशासन के कार्यक्रम’, ‘विकसित बिहार के सात निश्चय’, ‘लोक संवाद कार्यक्रम’, ‘बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना’, ‘मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’, ‘कुशल युवा कार्यक्रम’, ‘बिहार स्टार्ट-अप नीति’, ‘बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम-2016’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार अपने इस कार्यक्रमों के सफल कार्यान्वयन के लिए सतत प्रयत्नशील है।
 
राज्यपाल ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के प्रति जागरूक हो कर उसे दूर करने के बाद ही विकासात्मक कार्यों का लाभ समाज को मिल सकता है । समाज-सुधार के कार्यक्रमों को भी पूरी तत्परता के साथ लागू किये जाने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त अधिकांश कुरीतियों से सबसे अधिक महिलायें प्रभावित होती हैं।
 
राज्यपाल ने कहा कि इन सबका ध्यान रखते हुए सरकार ने पूर्ण शराबबंदी लागू की तथा उसके बाद पूर्ण नशाबंदी का संकल्प लिया है । संपूर्ण बिहार में इसके प्रति जनसामान्य, विशेषकर महिलाओं, युवाओं एवं बालक-बालिकाओं में उत्साह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से शराबबंदी राज्य में एक सामाजिक अभियान का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि पूर्ण शराबबंदी से समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ एवं संयमी हुआ है, जिसका अतुल्य प्रभाव बिहार की प्रगति में परिलक्षित हो रहा है। शराबबंदी के कारण परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा पारिवारिक हिंसा, घरेलू कलह एवं सामाजिक अपराध में कमी आई है।
 
राज्यपाल मलिक ने कहा कि राज्य सरकार ने सामाजिक सुधार की इस कड़ी में पिछले वर्ष 2 अक्टूबर से बाल-विवाह एवं दहेज-प्रथा के उन्मूलन हेतु राज्यव्यापी अभियान प्रारंभ किया है ।
 
बाल-विवाह और दहेज-प्रथा के विरुद्ध वर्तमान में कानूनों के होने के बाद भी दोनों कुरीतियाँ समाज में व्याप्त हैं और इसलिए सभी के सहयोग से सामाजिक अभियान चलाना आवश्यक है । उन्होंने कहा कि बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन अभियान के माध्यम से शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, लैंगिक असमानता, कुपोषण एवं बौनापन, लड़कियों में असुरक्षा की भावना, अशिक्षा आदि समस्याओं को कम करने में सहायता मिलेगी | इस वर्ष 21 जनवरी को बाल विवाह तथा दहेज प्रथा के विरुद्ध बिहारवासियों ने लगभग 14 हजार किलोमीटर लंबी मानव-शृंखला बनाकर अभियान के समर्थन में अपने संकल्प को प्रकट किया ।
 
बिहार के गौरवशाली इतिहास और संपन्न विरासत की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विकास के साथ-साथ कला, संस्कृति एवं पर्यटन क्षेत्र के संवर्द्धन पर राज्य सरकार का विशेष ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष 23 से 25 दिसम्बर तक श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाष पर्व का ‘शुकराना समारोह’ सफलतापूर्वक आयोजित किया गया जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
 
उन्होंने कहा कि इसी तरह बापू के ‘चम्पारण सत्याग्रह’ की ऐतिहासिक स्मृति के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष 2017-18 को ‘चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह’ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर महात्मा गाँधी एवं चम्पारण-सत्याग्रह से जुड़े स्थलों पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर बापू के आदर्श एवं संदेशों को घर-घर तक पहुँचाया गया है तथा बच्चों को महात्मा गाँधी के विचारों एवं आदर्शों से अवगत कराया जा रहा है। राज्यपाल ने बताया कि चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह का समापन आगामी ‘बिहार दिवस’ के अवसर पर किया जायेगा। ‘1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ के महानायक बाबू वीर कुँवर सिंह के 160वें विजयोत्सव के अवसर पर 23 से 25 अप्रैल, 2018 तक तीन दिवसीय विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।
 
मलिक ने कहा कि बिहार राज्य में सभी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के बीच अनुकरणीय समन्वय है और सरकार समाज में सद्भभाव एवं भाईचारा का वातावरण बनाये रखने के लिए प्रयासरत है । बिहारवासियों का राज्य को आर्थिक रूप से सबल तथा सामाजिक एवं नैतिक रूप से सशक्त बनाने में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया ।
 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के सुशासन एवं न्याय के साथ विकास के सिद्धान्त से सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। राज्य में विकास की रणनीति समावेशी, न्यायोचित और सतत् होने के साथ- साथ आर्थिक प्रगति पर आधारित है। बिहार को देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के निमित्त सुशासन के कार्यक्रम सम्पूर्ण राज्य में लागू किये गये हैं।
 
राज्यपाल ने कहा कि बिहार में कानून का राज स्थापित रखना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है जिसके लिए संगठित अपराध पर अंकुश लगाया गया है 1 पुलिस तंत्र को सुदृढ किया गया है ताकि वे अपने दायित्वों का निर्वहन कुशलतापूर्वक कर सके । भ्रष्टाचार के विरूद्ध ‘जीरो टालरेन्स’ की नीति पर राज्य सरकार अपनी मुहिम को जारी रखते हुए भ्रष्ट लोक सेवकों के विरूद्ध कार्रवाई निरंतर की जा रही है। बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 को लागू कर लोगों को उनके परिवाद पर सुनवाई के साथ-साथ नियत समय सीमा में इसके निवारण का भी कानूनी अधिकार दिया गया है। डेढ वर्ष की अवधि में ही लगभग 2 लाख 41 हजार से अधिक आवेदनों का निष्पादन कर लोगों की शिकायतों का निवारण किया गया है।
 
राज्यपाल ने मानव संसाधन के क्षमता संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसके लिए शिक्षा को महत्व देते हुए नये प्राथमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय खोलने, कक्षाओं की संख्या बढ़ाने, शिक्षकों की उपलब्धता एवं उपस्थिति सुनिष्चित करने, प्राथमिक विद्यालयों को माध्यमिक विद्यालयों में उत्क्रमित करने, वंचित वर्गों को स्कूल में दाखिला कराने, लड़के-लड़कियों के बीच शिक्षा के अंतर को दूर करने एवं हर पंचायत में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्थापित करने के लिए अनेक उपाय किये गये हैं।
 
उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक सुधार के बाद विशिष्ट चिकित्सा के लिए भी हेतु आधारभूत संरचना का विकास कर रही है।
 
उन्होंने कहा कि बिहार की लगभग 89 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में निवास करती है और जनसंख्या का लगभग 76 प्रतिशत अपनी आजीविका के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों पर आश्रित है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के समग्र विकास हेतु राज्य सरकार ने 2008 में पहला एवं 2012 में दूसरा कृषि रोड मैप लागू किया। दोनों कृषि रोड मैप की उपलब्धियों से प्रेरित होकर राज्य सरकार ने 2017 से 2022 तक के लिए तीसरा कृषि रोड मैप लागू किया गया है ।
 
उन्होंने कहा कि ‘तीसरे कृषि रोड मैप’ में राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए इनपुट अनुदान की व्यवस्था के साथ-साथ जैविक कारिडोर बनाने हेतु कार्रवाई की जा रही है। सब्जियों के व्यापार के लिए राज्य के सहकारी प्रक्षेत्र के माध्यम से सब्जी संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन की त्रिस्तरीय व्यवस्था स्थापित की जा रही है। ड्रेनेज एवं सिवरेज का परिशोधित जल गंगा नदी में नहीं बहाकर इसका उपयोग खेती में सिंचाई के लिए करने के लिए विशिष्ट योजना बनायी जा रही है।
 
इसके अतिरिक्त स्थानीय कृषि संयंत्र निर्माताओं को प्रोत्साहित करने, दुग्ध, मछली एवं अण्डा के उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने, कृषि के लिए पृथक् फीडर की स्थापना कर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा राज्य के हरित आवरण को 17 प्रतिशत तक पहुँचाने के लिए भी कार्रवाई की जा रही है। समावेशी विकास के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अतिपिछड़े एवं पिछड़े वर्गां, अल्पसंख्यकों , महिलाओं तथा बच्चों की शिक्षा, कौशल एवं आर्थिक विकास पर बल देते हुए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
 
राज्यपाल ने कहा कि ‘सुशासन के कार्यक्रम’ के तहत विकसित बिहार के 7 निश्चय के तहत कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं | महिला सशक्तिकरण के लिए ‘जीविका’ कार्यक्रम के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है तथा ‘आरक्षित रोजगार, महिलाओं का अधिकार’ के तहत राज्य की सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के समेकित विकास के लिए ‘हर घर नल का जल’ तथा ‘शौचालय निर्माण, घर का सम्मान’ के अंतर्गत योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है । ’हर घर नल का जल’ के अंतर्गत अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में 5 लाख 35 हजार से अधिक घरों को तथा शहरी क्षेत्रों के लगभग एक लाख घरों को इस सुविधा का लाभ दिया जा चुका है। ’शौचालय निर्माण, घर का सम्मान’ के निश्चय के तहत अब तक 23 लाख 8 हजार ग्रामीण तथा 1 लाख 58 हजार शहरी घरों को आच्छादित किया जा चुका है। अभी तक 4 अनुमंडल, 33 प्रखंड एवं 694 पंचायतों तथा 785 शहरी वार्डों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है।
 
बिहार की नयी पीढ़ी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार के अवसर प्रदान करते के लिए बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना एवं कुषल युवा कार्यक्रम संचालित हैं। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए ‘स्टार्ट अप नीति’ लागू की है जिसके तहत अब तक 856 स्टार्ट अप्स को इन्क्यूबेटर के साथ संबद्ध किया गया है, जिसमें से चयनित 26 आवेदकों को 65 लाख रुपए विमुक्त किये गये हैं।
 
बिजली की स्थिति में राज्य में लगातार सुधार हुआ और अब राज्य में अधिकतम विद्युत आपूर्ति 4 हजार 5 सौ 35 मेगावाट पहुँच गयी है। राज्य के सभी 39 हजार 73 गाँवों को विद्युत संपर्कता दी गई है। अब सभी टोलों को अप्रील, 2018 तक विद्युत सम्पर्कता प्रदान कर दी जायेगी। ’हर घर बिजली’ निश्चय के तहत राज्य के सभी इच्छुक घरों को दिसंबर, 2018 तक विद्युत संपर्कता उपलब्ध करा दी जायेगी।
 
बिहार में जिला एवं ग्रामीण सड़कों तथा पुल पुलियों का वृहद् जाल बिछाकर, राज्य के सुदूर क्षेत्र से 6 घंटे में राजधानी पटना पहुंचने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है और अब इस लक्ष्य को 5 घंटे निर्धारित किया गया है।
 
उन्होंने कहा कि राज्य में त्वरित औद्योगिक विकास के लिए बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016 लागू की गई है। औद्योगिक निवेश को अधिक सहज बनाने के उद्देश्य से बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन अधिनियम, 2016 को लागू किया गया है। इस नीति के अंतर्गत अब तक निवेश के 652 प्रस्तावों को प्राथमिक स्वीकृति दी गई है, जिसमें लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश प्रस्तावित है। इसमें से अब तक 55 इकाइयों को कुल 954 करोड़ रुपये के वित्तीय प्रोत्साहन की स्वीकृति दी जा चुकी है।
 
इस अवसर पर गांधी मैदान में रंगारंग झांकियां निकाली गईं। झाँकियों में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद्, पटना (शिक्षा विभाग, बिहार, पटना) को प्रथम पुरस्कार, उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना (उद्योग विभाग, बिहार) को द्वितीय पुरस्कार तथा जीविका परियोजना, बिहार, पटना को तृतीय पुरस्कार दिया गया।
 
इस बीच राज्य के विभिन्न भागों में भी गणतंत्र दिवस मनाया गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास पर झंडा फहराया और बाद में पुनपुन के एक दलित बसती में भी झंडोतोलन कार्यक्रम में शामिल हुए। दलों के कार्यालयों , स्कूलों , सरकारी कार्यालयों तथा अन्य संस्थानों में भी झंडा फहराया गया।
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