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पटना
जैविक खेती को प्रोत्साहन देने और परम्परागत कृषि विकास योजना का केंद्र ने किया आरम्भ – राधा मोहन सिंह
By Deshwani | Publish Date: 16/1/2018 6:35:27 PM
जैविक खेती को प्रोत्साहन देने और परम्परागत कृषि विकास योजना का केंद्र ने किया आरम्भ – राधा मोहन सिंह

पटना (हि.स)। केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश में कृषि के समेकित विकास के लिए सरकार कृषि‍ जगत में जैविक खेती , नई तकनीक को अपनाने के साथ-साथ किसानों के सदि‍यों के अनुभव और परंपरागत ज्ञान का समावेश कर रही है ।

राधा मोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि उत्पादन में स्थायी वृद्धि के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है और इसके लिए परम्परागत कृषि विकास योजना आरम्भ की गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि देश में खाद्य आपूर्ति की कोई समस्या नही है लेकिन बढ़ती जनसंख्या को सुरक्षित एवं पौष्टिक खाद्यान उपलब्ध कराने की चुनौती अभी भी बनी हुई है ।

रासायनिक खेती पर बढ़ती निर्भरता की एक कार्यक्रम में दिल्ली में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरक, कीट-रोग नाशी एवं अन्य रसायनों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ा है लेकिन रसायनों के अनियंत्रित उपयोग से प्रकृति पर बुरा असर पड़ रहा है। रसायनों के दुष्प्रभाव से विश्व में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण में असंतुलन उत्पन्न हो गया है जिसका मानव के स्वास्थ्य पर भी गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है ।

कृषि मंत्री ने कहा कि हरित क्रांति की तरह भारत में जैविक कृषि क्रांति भी सफल हुआ तो कृषक समाज को बेहतर मानसिक, आर्थिक एवं प्राकृतिक वातावरण प्राप्त हो सकेगा । भारत को परंपरागत रूप से दुनिया का सबसे बड़ा जैविक कृषि वाला देश बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान भारत के बहुत बड़े भू भाग में परंपरागत ज्ञान के आधार पर जैविक खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि देश में वर्तमान में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 22..5 लाख हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती हो रही है जिसमें परंपरागत कृषि विकास योजना एवं जैविक मूल्य श्रंखला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कृषि मंत्री ने बताया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में 2015- 16 से 10,000 क्लस्टरों का गठन कर 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के लिए आच्छादित की गई है । उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू की गई परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत क्लस्टर मोड पर ओर्गनिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए देश भर में 50,000 रोये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 3 वर्षों के लिए अनुदान राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जैविक उत्पाद को महंगे दामों पर ना बेचकर आम नागरिक के लिए भी आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करायी जा रही है।

श्री सिंह ने कहा कि जैविक खेती से लागत में 20 से 40 प्रतिशत तक की कमी आ रही है और इस पद्धति से खेती करने वाले किसानों को पूरी दुनि‍या में एक नया बाजार मिलता है । उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र का सिक्किम, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम जैविक खेती के गढ़ हैं और इस क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास योजनाओं का प्रारंभ किया है। कृषि मंत्री ने कहा कि जैविक खेती को पहाड़ी क्षेत्रों एवं आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ावा देने का सरकार का लक्ष्य है ।

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