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बिहार
लालू के जेल जाने से राजद की राह आसान नहीं
By Deshwani | Publish Date: 6/1/2018 5:21:11 PM
लालू के जेल जाने से राजद की राह आसान नहीं

पटना (हि स)। करोड़ों रूपये के चारा घोटाला में सजायाफ्ता राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में उनके छोटे पुत्र और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेत्रित्व में स्थिति से निपटने का प्रयास किया जा रहा है किन्तु घोटालों और बेनामी सम्पती में कार्यवाइयां झेल रहे लालू यादव, उनके पूरे परिवार और राजद की राजनीतिक राह उतनी आसान नहीं दिखती। 

 
राजद के वरिष्ठ नेता तथा राज्य के पूर्व वित्त मंत्री अद्बुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि तेजस्वी यादव के नेत्रित्व में कोई पसोपेश नहीं है और युवा नेत्रित्व में दल बेहतर प्रदर्शन करेगा। 
 
इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने कहा कि दल पूरी तरह एकजुट है और मजबूती से राज्य में एक बार फिर नई ताकत के साथ उभरेगा 1 शिवानंद तिवारी ने कहा कि लालू के जेल जाने के बाद पिछड़े और दलित समुदायों का भी उन्हें समर्थन मिलेगा। 
 
स्थिति से निपटने के लिए शनिवार को पूर्व मुख्ममंत्री राबड़ी देवी के आवास पर राजद के प्रमुख नेताओं-कार्यकर्ताओं की राज्य-स्तरीय बैठक हुई और संगठन में एकजुटता और समर्थकों को गोलबंद रखने का संदेश दिया गया 1 पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि बैठक में विभिन्न ज्वलंत समस्यों तथा राजनीतिक मुद्दों पर भावी रणनीति तय की गई।
 
उन्होंने भी कहा कि तेजस्वी यादव के नेत्रित्व में युवा शक्ति नीतीश सरकार की विफलताओं और घोटालों के खिलाफ जमीनी स्तर पर आन्दोलन करेगी।
इस बीच कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि राजद सुप्रीमो की अनुपस्थिति में नीतीश कुमार को खुला राजनीतिक मैदान मिल सकता है साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वर्ष 2019 के मिशन को वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में झटका लगने की भी सम्भावना है।
 
घोटालों और बेनामी सम्पती के मामलों में कार्यवाइयां झेल रहे लालू यादव के पूरे परिवार के लिए पार्टी के अंदर असंतुष्ट गतिविधियों पर नियंत्रण कर पार्टी को एकजुट रखने की बहुत बड़ी चुनौती है। हालांकि जब भी इस तरह का संकट लालू यादव और राजद ने झेला है उनकी पार्टी को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ 1 लालू यादव जब भी जेल गए उनके जनाधार में बिखराव नहीं दिखा। 
 
चारा घोटाला के तीन और मामलों पर लालू यादव के खिलाफ चल रही सुनवाई और भ्रष्टाचार के कई मामलों में दोषी पाए जाने के बाद भी उनके जाती के लोग लालू यादव को अभी भी भगवान मानते हैं 1 ऐसी संकट की घड़ी में राजद का हर कार्यकर्ता एकजुट रहता आया है जिसकी वजह से वर्ष 2015 के चुनाव में राजद की बिहार की सत्ता में वापसी हुई 1 बिहार के मुसलमान को भी राजद में ही विकल्प मिलता आया है।
 
राजनीतिक विश्लेष्क यह भी मानते हैं कि राजद के लिए स्थति थोड़ी संकटपूर्ण इस लिए हो गई है क्योकि इसे केवल भाजपा ही नहीं बल्कि भाजपा के साथ जा चुके, कोइरी और कुर्मी पर मज़बूत पकड़ रखने वाले नीतीश कुमार से भी है 1 हालांकि तेजस्वी यादाव के नेत्रित्व में दल को एकजुट रखने की पूरी कोशिश की जा रही है फिर भी लालू यादव की अनुपस्थिति में उत्पन्न राजनीतिक रिक्तता का लाभ उठा कर अन्य दल अपने जातीय समीकरण को दुरुस्त कर आरजेडी के वोटबैंक में सेंध लगाने की भी कोशिश कर सकते हैं।
 
देखा जाए तो लालू यादव के पास उत्तराधिकारी की समस्या नहीं है किन्तु उनके बेटे तेजस्वी और बेटी मीसा भारती भी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए हैं तथा उनपर कार्यवाइयां जारी हैं। 
 
हालांकि लालू यादव एक ऐसे नेता हैं जों प्रतिकूल परिस्थितियों का फायदा अच्छी तरह से उठाते आये हैं 1 सबसे अलग हट कर अपने ख़ास अंदाज़ से लालू यादव अपने समर्थकों के बीच अपनी पैठ बना कर अपनी पकड मजबूत करते चले गये 1 लालू यादव ने हर मसलों को जाति और वर्ग का रंग दे कर उसे अपने पक्ष में किया 1 इस बार भी 23 दिसम्बर वर्ष 2017 में चारा घोटाले में खुद को दोषी करार दिए जाने और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को कोर्ट के द्वारा बरी किये जाने को जातीय रंग देकर उसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की।
लालू यादव को सजा होते ही उन्होंने और उनके परिवार तथा पार्टी के नेताओं ने इसे केंद्र सरकार की बदले की कार्रवाई के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया और आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ मिल कर एक रणनीति के तहत लालू यादव और उनके परिवार को ठिकाने लगाने की साजिश कर रहे हैं।
 
सजायाफ्ता लालू यादव अब चुनाव नहीं लड़ सकते और उनके पुत्र तेजस्वी और तेजप्रताप यादव इस परिस्थिति के लिए नीतीश कुमार और भाजपा पर अर्रोप लगा इसका राजनीतिक फायदा उठा सकते हैं।
 
इस बीच तेजस्वी और तेजप्रताप यादव एक जोड़ी की तरह उभर रहे हैं और नीतीश सरकार से बाहर होने के बाद अपने-अपने स्तर पर पार्टी और कार्यकर्ताओं को नेतृत्व देने की कोशिशें की है 1 इन दोनों के बारे में धारणा है कि लालू यादव के कहे पर चलते हैं बदली हुई स्थिति में दोनों ने अलग-अलग मोर्चों पर आक्रामक रुख अपनाया हुआ है 1 यदि ये दोनों प्रभावी जनसंपर्क अभियान चलाने में सफल हो गए तो लालू समर्थक को पार्टी से जोड़े रखने में सफल हो सकते हैं। 
 
हालांकि इससे पहले लालू यादव जब भी जेल गए थे , पार्टी की कमान उनकी पत्नी राबड़ी देवी के हाथों में रही थी जिससे दल के अन्य वरिष्ठ नेताओं के लिए असहज स्थिति उत्पन्न नहीं हुई थी 1 राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि लालू यादव के समकक्ष वरिष्ठ नेताओं को इस बार लालू यादव के पुत्र का नेत्रित्व सहज रुप से कितना स्वीकार्य होगा, यह भविष्य के गर्भ में है 1 दोनों का राजनीतिक सफर शुरू तो हो चुका है लेकिन लालू के कद तक पहुंचने में अभी उन्हें काफी वक्त लगेगा। 
 
हालांकि तेजस्वी यादव लालू के जेल जाने को एक भावनात्मक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर पार्टी का भविष्य तय कर सकते हैं 1 खुद को तेजस्वी ने शेर का बच्चा कह कर पेश करना शुरू कर दिया है और हर झ्न्झावातों को भी झेलने की बात कही , फिर भी वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में पार्टी और लालू यादव के पुत्रों और पूरे परिवार की राजनीतिक राह उतनी आसान नहीं दिखती1 
 
 
 
 
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