पटना
न्यायिक व्यवस्था और न्यायपालिका पर उठाए गए सवाल पर मैं कायम हूं: शिवानंद तिवारी
By Deshwani | Publish Date: 4/1/2018 8:56:39 PMपटना, (हि.स.)। राजद के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को कहा कि 'देश की न्यायिक व्यवस्था और न्यायपालिका को लेकर जो सवाल मैंने उठाया है उनपर कायम हूं। उच्चतम न्यायालय हमारे समाज को प्रतिबिम्बित नहीं करता है, इसलिए लालू यादव या वंचित समाज से आने वाले या उनकी लड़ाई लड़ने वालों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा है। सदियों से जारी सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आज देशभर में सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष जारी है लेकिन खेद है कि उच्च न्यायपालिका में उन्हीं तबकों का वर्चस्व है जिनके विरुद्ध सामाजिक न्याय पाने के लिए संघर्ष हो रहा है।'
तिवारी ने आगे कहा कि 'जानकारी मिली है कि रांची न्यायालय ने मेरे बयान को अवमानना मानकर मुझे नोटिस जारी किया है। अगर मुझे नोटिस मिलता है तो उसका आदर करते हुए मैं न्यायालय में हाजिर हो जाऊंगा। सब लोग सवाल पूछ रहे हैं कि चारा घोटाला में लालू यादव को पांच वर्ष की सजा हुई है। उस सजा की वजह से वे चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं। फिर उसी चारा घोटाले में पुन: उनको रांची की अदालत में सजा सुनाई जाने वाली है। अंत यहीं नहीं है। इसके बाद भी चारा घोटाले से जुड़े अन्य दो मामले में भी सजा होनी है। लालू यादव के साथ ऐसा क्यों हो रहा है, जबकि भारतीय संविधान की धारा-202 के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए एक से अधिक दफा सजा नहीं दी जा सकती है। यह सवाल सिर्फ हमलोग नहीं उठा रहे हैं। बल्कि 1999-2000 में भाजपा के वरीय नेता और सांसद करिया मुंडा की अध्यक्षता में गठित तीस सांसदों की संयुक्त समिति ने सर्व सम्मत प्रस्ताव के जरिए उच्च और उच्चतम न्यायालय में आरक्षण की अनुशंसा की है। डॉक्टर लोहिया ने भी कहा कि जाति इस देश की सबसे बड़ी सच्चाई है। जज की कुर्सी पर बैठे लोगों की भी जाति होती है। शायद कोई महामानव ही आज अपनी जातीय आग्रह या पूर्वाग्रह से तटस्थ होकर निर्णय करने की क्षमता रखता होगा। हमारा युग महामानवों का नहीं है इसलिए जब तक उच्च न्यायपालिका में समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं होता है जब तक न तो बथानी टोला और न बाथे नरसंहार में मारे गए वंचित समाज के लोगों को न्याय मिलेगा। इन नरसंहारों के आरोपियों को निचली अदालत द्वारा दी गई सजा से हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।'