पटना, (हि.स.)। एक माह पहले सातवीं बार राजद अध्यक्ष बने लालू प्रसाद के राजनीतिक भविष्य पर चारा घोटाला फिर मुसीबत बन कर आया है। चारा घोटाले से सम्बन्धित दूसरे मामले में शनिवार को रांची की सीबीआई अदालत से सजा के कारण लंबे समय तक जेल में रहने पर बिहार में उनके राजनीतिक कुनबे को समेट कर रखना भी बड़ी चुनौती होगी।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि घोटाला, भ्रष्टाचार एवं बेनामी सम्पत्ति मामले में आरोपी होने के बावजूद लालू प्रसाद के जनाधार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। उनके समर्थकों में यह समझ बनी है कि लालू परिवार के खिलाफ राजनीतिक पूर्वाग्रह से कार्रवाई हो रही है। अपने समर्थकों को लालू लगातार यही संदेश देते रहे हैं कि राजनीतिक रूप से उनका मुकाबला करने में विफल विपक्ष मुकदमों में फंसा कर घेरने की रणनीति पर चल रहे हैं।
बिहार विधानसभा में 79 विधायकों के बूते अकेले सबसे बड़े दल के साथ मुख्य विपक्षी दल की हैसियत मिली है। लालू के खिलाफ राजद विधायक महेश्वर प्रसाद यादव ने विरोध का बिगुल बजाकर यह संकेत दे दिया है कि पार्टी में सबकुछ ठीकठाक नहीं है । लालू की जगह तेजस्वी को आगे बढ़कर राजद को चलाना आसान नहीं होगा।
पहली बार सजा मिलने पर लालू प्रसाद ने खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ घर का कामकाज देखने वाली साक्षर राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर परोक्ष रूप से सत्ता पर काबिज रहे। उस समय पटना में ही लगभग दो वर्ष जेल में रहे। जेल से ही लालू शासन और पार्टी चलाते रहे थे।
पिछली विधानसभा में अपेक्षित संख्या नहीं होने के बावजूद राजद विधायकों में बिखराव हुआ था। तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने दो—तिहाई संख्या में बागी विधायकों के एकजुट हुए बिना 13 विधायकों राजद से अलग गुट की मान्यता दे दी थी। तब लालू प्रसाद की आक्रामक तेवर काम आया था।
बिहार में राज्यसभा और विधान परिषद के फरवरी—मार्च में अवश्यंभावी चुनाव में राजद को राज्यसभा में दो और परिषद में चार सीटें मिलनी हैं। नये वर्ष में राबड़ी देवी फर विधान परिषद में ही रहेंगी या राज्यसभा में जायेंगी, यह देखना दिलचस्प होगा। दिल्ली में राज्यसभा सदस्य के नाते राजनीतिक वरीयता के आधार पर राबड़ी देवी लुटियन जोन में बंगला की हकदार हो सकती हैं। निकट भविष्य में अररिया लोकसभा और जहानाबाद एवं भभुआ विधानसभा सीटों के लिए भी उप चुनाव होने हैं। राजद सांसद तस्लीमुद्दीन के निधन से अररिया और विधायक मुंद्रिका सिंह यादव के निधन से जहानाबाद विधानसभा सीट खाली हुई है। इन सीटों पर लालू की अनुपस्थिति में राजद काे बरकरार रखने भी कठिन चुनौती होगी। भभुआ सीट भाजपा विधायक आनंद भूषण पांडेय के निधन से खाली हुई है।