बिहार
बिहार में सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए बनेंगे नियम
By Deshwani | Publish Date: 1/4/2017 5:50:44 PMप्रतीकात्मक फोटो
पटना, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहार में सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए पहली बार नियम-प्रक्रिया तय होगी। सत्तारुढ महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में लगभग 200 सरकारी वकीलों की नियुक्ति में राजनीतिक हस्तक्षेप और योग्यता की अनदेखी होने की शिकायत के साथ वकीलों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 16 मार्च को योग्यता को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और बगैर राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना सरकारी वकीलों की नियुक्ति हेतु पारदर्शी व्यवस्था बनाने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के कहे मुताबिक हाईकोर्ट के लिए वहां के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श कर और जिला अदालतों में संबंधित जिला न्यायाधीश के परामर्श से सरकारी वकीलों की नियुक्ति होनी है।
इधर पटना हाईकोर्ट के 16 नवम्बर,2016 के आदेश के अनुरूप छह महीने में नियम-प्रक्रिया तय करने के लिए एक माह बचे है। इस आदेश के बाद हाईकोर्ट में पांच और जिला अदालतों में 100 से अधिक सरकारी वकीलों की नियुक्ति के विरोध में अवमानावाद दायर होने पर राज्य के विधि सचिव से जवाब-तलब किया गया है। विधि विभाग उलझन में है। अभी सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए सात और 10 वर्ष का वकील के रूप में कार्यानुभव प्रमुख आधार है। प्रदेश में हाईकोर्ट,जिला और अनुमंडल स्तर तक के अदालतों को मिलाकर लगभग 1000 सरकारी वकील है। विभिन्न श्रेणी के सरकारी वकीलों को 1200 रुपये से 2200 रुपये तक दैनिक पारिश्रमिक मिलता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील याचिका 20 मार्च,2017 को खारिज कर दिये जाने के बाद सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए नियम-प्रक्रिया बनाना अनिवार्य हो गया है। अभी कई राज्यों में यथा जम्मू-कश्मीर,राजस्थान,हरियाणा व दिल्ली में सरकारी वकीलों की नियुक्ति हेतु नियम-प्रक्रिया तय है। उसी तर्ज पर बिहार में भी एक माह के अंदर नियम-प्रक्रिया तय होने के आसार हैं।