ब्रेकिंग न्यूज़
मोतिहारी के केसरिया से दो गिरफ्तार, लोकलमेड कट्टा व कारतूस जब्तभारतीय तट रक्षक जहाज समुद्र पहरेदार ब्रुनेई के मुआरा बंदरगाह पर पहुंचामोतिहारी निवासी तीन लाख के इनामी राहुल को दिल्ली स्पेशल ब्रांच की पुलिस ने मुठभेड़ करके दबोचापूर्व केन्द्रीय कृषि कल्याणमंत्री राधामोहन सिंह का बीजेपी से पूर्वी चम्पारण से टिकट कंफर्मपूर्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सांसद राधामोहन सिंह विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास करेंगेभारत की राष्ट्रपति, मॉरीशस में; राष्ट्रपति रूपुन और प्रधानमंत्री जुगनाथ से मुलाकात कीकोयला सेक्टर में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 9 गीगावॉट से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य तय कियाझारखंड को आज तीसरी वंदे भारत ट्रेन की मिली सौगात
पटना
प्रधानमंत्री से डा.जगन्नाथ मिश्र का अनुरोध, नयी शिक्षा नीति बने और समान शिक्षा प्रणाली लागू हो
By Deshwani | Publish Date: 16/10/2017 6:24:51 PM
प्रधानमंत्री से डा.जगन्नाथ मिश्र का अनुरोध, नयी शिक्षा नीति बने और समान शिक्षा प्रणाली लागू हो

पटना, (हि.स.)। पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा.जगन्नाथ मिश्र ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से देश में शिक्षा का बजट बढ़ाने, बाजारीकरण रोकने और गुणवत्ता में सुधार के लिए नयी शिक्षा नीति बनाने और समान शिक्षा प्रणाली लागू करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि बीते तीन वर्षों में शिक्षा प्रणाली की कमियां और कमजोरियां दूर नहीं होना पाना विस्मयकारी है। देश में 20 विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने की प्रधानमंत्री की नयी घोषणा से ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार नई शिक्षा नीति बनाने वाली है।

डा. मिश्र ने सोमवार को यहां कहा कि शहर और गाँव के मध्य साक्षरता दर में आज भी 22 प्रतिशत का अंतर बना हुआ है। दलित एवं वंचित वर्गों में शिक्षा नहीं पहुँच पायी है। 65 प्रतिशत आदिवासी और 54 प्रतिशत दलित अब भी निरक्षरता के अंधकार में जीने के लिए अभिशप्त हैं। दुखद पहलु है कि इन समुदायों के साक्षरों में भी 7वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई करने वाले नगण्य है। उसी तरह महिला साक्षरता दर बहुद ही धीमी गति से बढ़ रही है। कक्षा 1 से 5 के बीच, कुल 2 करोड़ 88 लाख दलित-आदिवासी बच्चे अध्ययनरत हैं। पर, इसी वर्ष हाई स्कूल में इनकी संख्या मात्र 35 लाख है, यानी प्राइमरी और हाई स्कूल के बच्चों में 2 करोड़ 53 लाख का अंतर। 

उन्होंने कहा कि हाल में राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपी है। आजादी के 70 साल बाद भी देश में विश्वविद्यालय जाने वाले आयु वर्ग की कुल जनसंख्या के सिर्फ 7 प्रतिशत छात्रों को ही दाखिला मिल पाता है । आज पूरे देश में बहुस्तरीय शिक्षा व्यवस्था कायम है। 1966 में कोठारी आयोग ने समान शिक्षा लागू करने की अनुशंसा करते हुए जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय करने की अनुशंसा की थी, जबकि वास्तविकता यह है कि आज भी उच्च शिक्षा पर जीडीपी का मात्र 0.34 प्रतिशत खर्च किया जा रहा है। इस समय राज्य और केन्द्र सरकार शिक्षा पर 3.49 प्रतिशत ही खर्च कर पा रही है। 

हिन्दुस्थान समाचार /अरुण/शंकर

 

image
COPYRIGHT @ 2016 DESHWANI. ALL RIGHT RESERVED.DESIGN & DEVELOPED BY: 4C PLUS