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बिहार राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए मानवाधिकार पाठयक्रम की शुरुआत
By Deshwani | Publish Date: 25/3/2017 10:00:00 PM
बिहार राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए मानवाधिकार पाठयक्रम की शुरुआत

पटना। देशवाणी न्यूज नेटवर्क।
एनआइओएस (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान) व एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया द्वारा शुरू किए गए एक नए सर्टिफिकेट कोर्स के तहत बिहार में 4000 से ज्यादा सामूदायिक  स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अगले तीन महीनों में मानव अधिकारों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
स्वशिक्षण मानव अधिकार प्रमाणपत्र पाठयक्रम का उद्देश्य सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से आम जनता के बीच मानव अधिकारों के मूल्यों और समानता, गरिमा, सम्मिलन, गैर-भेदभाव और सहभागिता के सिद्धांतों को बढ़ावा देना है।
सभी महत्वपूर्ण हितधारकों के लिए एनआईओएस के पटना क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा आयोजित कार्यशाला में एनआईओएस के अकादमीक  निदेशक डाॅ राजेश कुमार ने कहा यह हमारे लिए खुशी की बात है कि यह आत्म-शिक्षण आधारित मानवाधिकार पाठयक्रम एक पायलट परियोजना के रूप में पेश किया जा रहा है। कानून और अन्य प्रावधानों की सही जानकारी के जरिये जनता का सशक्तीकरण महत्वपूर्ण है। सम्मान, गरिमा और नागरिक जिम्मेदारी की संस्कृति का निर्माण करना महत्वपूर्ण है, और यह पाठयक्रम शिक्षार्थियों को खुद को और अपने आसपास के अन्य लोगों को सशक्त बनाने का अवसर प्रदान करता है, ताकि मानव अधिकारों के दुरुपयोग की रोकथाम और उनका निर्विघ्न निवारण संभव हो सके।
सरल भाषा में मानवाधिकारों के बारे में एक व्यापक पाठयक्रम उपलब्ध करने के जरिये हम उम्मीद करते है कि शिक्षार्थियों को मानव अधिकरों एवं भारत के संविधान,कानून संहिता और सरकारी नीतियों में मौजूद प्रासंगिक प्रावधानों के बारे मे जानकारी मिलेगी और उसमें महिलाओं और बच्चों से संबंधित  मानवाधिकारों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सुश्री सौम्या डिमरी, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के मानवाधिकार शिक्षा कार्यक्रम की समन्वयक ने यह कहा।
उन्होंनेे यह भी कहा हम उम्मीद करते हैं कि  इस पाठयक्रम में हिस्सा लेने वाले कार्यकर्ता अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति सशक्त और जागरुक होंगे और साथ ही साथ अपने आसपास के अधिकार आधारित मुद्दों के प्रति और भी अधिक सजग रहेंगे।

इस त्रैमासिक कोर्स की रूपरेखा स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को ध्यान में रख के रची गयी है जिनमें ग्रामीण और शहरी बिहार में कार्यरत आशा कार्यकर्ता (मान्यताप्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता), आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ममता कार्यकर्ता (सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारी) एवं निजी क्षेत्र में कार्यरत स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी शामिल हैं। पाठ्यक्रम का उद्देश्य शिक्षार्थियों को विभिन्न मानवाधिकार सम्बंधित मुद्दों और उनके उल्लंघनों के बारे में जानने में मदद करना है।
यह पाठ्यक्रम कानून संहिता में उपलब्ध अधिकारों और निवारण के उपायों का भी विवरण देता है। उम्मीद की जा रही है कि पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद कार्यकर्ता सामुदायिक स्तर के मानवाधिकारों के मुद्दों पर काम करेंगे और स्थानीय स्तर पर जागरुकता अभियानों का संचालन करेंगे। अंततः इस सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम को बिहार में 1625 महिलाओं और 2375 पुरुषों तक पहुँचाया जाएगा।
एनआईओएस के क्षेत्रीय निदेशक श्री संजय कुमार सिन्हा ने कहा, “बिहार में सभी 38 जिलों के प्रतिभागियों को यह पाठ्यक्रम मुफ्त में मुहैया कराया गया है। हमने यह सुनिश्चित किया है कि प्रतिभागियों में से कम से कम 40ः महिलाएं हों। 25 मुख्य प्रशिक्षक 4000 से अधिक शिक्षार्थियों के साथ व्यक्तिगत सत्र पर भी बात करेंगे जिसके दौरान शिक्षार्थियों को पाठ्यक्रम सामग्री और कार्यक्रम के कार्यान्वयन के बारे में किसी भी संदेह को स्पष्ट करने का मौका मिलेगा।”
 वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी  विजय प्रकाश ने दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन संबोधन में कहा कि- गाँधी जी की चंपारण यात्रा के सौवें वर्ष में स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों की बात कर एनआईओएस एवं एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बड़ा काम किया है। गाँधी जाी का यह सपना था कि “गाँवों के लोग स्वस्थ रहें क्योंकि यहीं भारत बसता है।”
श्री विजय प्रकाश, (वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी), डा0  शीला शर्मा ( सेवानिवृत विभागाध्यक्ष, पीएमसीएच), डा डी सी मिश्रा, डा विजय कुमार (निदेशक, अभिलेख भवन, पटना) ने कार्यशाला को संबोधित किया। 
उक्त जानकारी स्मृति सिंह ने दी है।
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