पटना, (हि.स.)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सृजन घोटाले में शामिल लोग अगर पाताल में भी रहेंगे तो उन्हें वहांं से खोज निकालेंगे। वहीं, सरकारी राशि सृजन के खाते में डालकर धंधा करने वालों भी नहीं बच पाएंगे।
उन्होंने कहा कि घोटाले का दायरा बढ़ता देख और इसमें सरकारी अफसरों और बैंकों की संलिप्तता के साथ केन्द्रीय योजनाओं की भी राशि की गड़बड़ी देख इसकी सीबीआई जांच कराने का सरकार ने निर्णय लिया है।
सोमवार को विधानसभा स्थित अपने कक्ष में संवाददाताओं से अनौपचारिक बातचीत कर में उन्होंने भागलपुर के एक एनजीओ महिला विकास सहयोग समिति सृजन द्वारा सरकारी अफसरों-कर्मचारियों और बैकों की मिलीभगत से 1000 करोड़ रुपये के घोटाले सहित अन्य कई मुद्दों दों पर खुलकर बातचीत की।
उन्होंने कहा कि अभी मामले की जांच की जा रही है। सभी जिलों से इसका हिसाब-किताब लिया जा रहा है। अभी घोटाले की निश्चित राशि और इसमें शामिल सभी लोगों के नाम आदि सामने आना बाकी है।
महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के राजनीतिक घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सच मानिये तो सही पर आपलोग इसे मानेंगे। पर सह सच है कि यह सब तात्कालिक परिस्थतियों में हुआ। यह न पूर्व नियोजित था और न इसके लिए कहीं कोई चर्चा या बातचीत पहले से हुई थी ।जब राष्ट्रीय स्तर पर राजग में जदयू के शामिल होने के बाद केन्द्र में जदयू कोटे से मंत्री बनाये जाने संबंधी सवाल उनसे किया गया तोे उसका जबाब देने के बजाय उन्होंने हंसकर इसे टाल दिया।
सीबीआई द्वारा लालू-राबड़ी देवी सहित तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ बेनामी सम्पत्ति मामले में आरोपी बनाने के बाद वह तथ्यों के आधार पर जनता के बीच प्रामाणिक सफाई की अपेक्षा कर रहे थे ताकि इसेे लेकर विपक्ष के हमले का का जबाव मिले । इस पर उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने ऐसा करने से मना कर दिया तो हमें भी राजनीतिक निर्णय लेना पड़ा।
जदयू अध्यक्ष ने माना कि गुजरात चुनाव में उनकी पार्टी के विधायक छोटू भाई बसावा ने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि महागठबंधन से अलग होने के 15 दिन पहले से ही जदयू विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो रही थी। कई विधायक खुद हमें बता दे रहे थेे कि राजद द्वारा उन्हें क्या- क्या प्रलोभन दिया जा रहा था।