बिहार
मकर संक्रांति नाव हादसा : हाईकोर्ट सख्त, सरकार तलब
By Deshwani | Publish Date: 11/8/2017 6:49:22 PMपटना, (हि.स.)। वर्ष 2017 में मकर संक्रांति के मौके पर राजधानी पटना में हुए नाव हादसा में पटना हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाये हैं। साथ ही साथ अदालत ने उक्त हादसे की जाच रिपोर्ट 4 सप्ताह के भीतर अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन एवं जस्टिस डा. अनिल कुमार उपाध्याय की खण्डपीठ ने विकासचन्द्र उर्फ गुड्डू बाबा एवं मणीभूषन प्रताप सेंगर की ओर से दायर लोकहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया।
गौरतलब है कि मकर संक्रांति के मौके पर बिहार सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा 14-17 जनवरी तक गंगा के दियारा में पतंगोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में आकर्षण का केन्द्र एक धागे में सौ पतंग को उड़ाया जाना था। पतंगोत्सव में शामिल होने के लिए बिहार के आम लोगों को भी आमंत्रित किया गया था। राजधानी से गंगा पार कार्यक्रम स्थल जाने के लिए आमजनों के लिए मुफ्त क्रूज (जहाज) सेवा की व्यवस्था की गयी थी। सुबह में काफी सारे लोगों को जहाज के द्वारा गंगा पार पहुंचाया भी गया। दोपहर दो बजे विभिन्न मीडिया चैनलों में यह खबर प्रसारित हुई की राजधानी में जहाज के प्रस्थान स्थल पर बांस का जो प्लेटफार्म बनाया गया था वह टूट गया है। खबर प्रसारित होने के बाद आमजनों को जहाज से वापस लाने की योजना को रद कर दिया गया। शाम के समय कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सरकार द्वार वापसी का कोई इंतजाम नहीं रहने के मद्देनजर आमजन नाव से वापस लौटने लगे। वापस लौटने की आपाधापी में नाव पर क्षमता से अधिक लोगों के सवार हो जाने के कारण बीच नदी में नाव डूब गयी और करीब दो दर्जन लोग डूब गये।
याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि आपदा विभाग द्वारा जो नाव कि खरीदारी की गयी थी उसे कार्यक्रम स्थल के पास मौजूद रहना चाहिए था। परंतु आपदा विभाग की बोट का दुर्घटना स्थल पर कहीं अता-पता नहीं था। शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई में ऐसी दुर्घटनाओं से बचाव के संबंध में बनायी गयी योजना एवं नियम के बारे में भी विस्तृत रूप से जानकारी देने का निर्देश दिया | अदालत ने कहा कि नियम के अनुपालन में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी।