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पटना
सरकार और मगध विवि के कुलपति को फटकार, क्या अदालती आदेश डस्टबिन में फेंकने के लिए होता है?
By Deshwani | Publish Date: 5/8/2017 11:19:27 AM
सरकार और मगध विवि के कुलपति को फटकार, क्या अदालती आदेश डस्टबिन में फेंकने के लिए होता है?

पटना, (हि.स.)| महिला महाविद्यालय टेकारी, गया की संबद्धता से संबंधित मामले में अदालती आदेश के बाद भी समय पर उचित निर्णय नहीं लेने से नाराज पटना उच्च न्यायालय शिक्षा विभाग के तत्कालीन एडिशनल सेक्रेटरी व मगध विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या अदालती आदेश डस्टबिन में फेंकने के लिए होता है ?
अदालती आदेश के आलोक में शुक्रवार को दोनों पदाधिकारी अदालत के समक्ष उपस्थित हुए न्यायाधीश चक्रधारीशरण सिंह की एकलपीठ ने महिला महाविद्यालय टेकारी की ओर से दायर रिट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया था कि महिला महाविद्यालय की सैकडों छात्राओं को बीए पार्ट 1, 2, 3 का परीक्षा फार्म भरने की अनुमति नहीं दी जा रही है । साथ ही अदालत को यह भी बताया गया कि अदालत ने 22 अगस्त 2016 को ही एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए उक्त महाविद्यालय के संबंध में उचित निर्णय लेने का निर्देश शिक्षा विभाग को दिया था किन्तु राज्य सरकार द्वारा अदालत को दिये जवाब में इस सम्बंध में कोइ स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया कि उक्त महाविद्यालय की समाप्त की गयी मान्यता को पुनः बहाल किया गया है अथवा नहीं ? 
शुक्रवार को सुनवाई के क्रम में मगध विश्वविद्यालय की ओर से अदालत को बताया गया की संबंधित महाविद्यालय की संबद्धता वर्ष 2012 में ही समाप्त हो गयी थी जिसके बाद वर्ष 2012-13 से लेकर 2015-16 के शैक्षणिक सत्र के लिए अस्थायी संबद्धता प्रदान की गयी थी । अदालत को वाइस चांसलर द्वारा बताया गया कि उक्त महाविद्यालय का निरीक्षण किया जा चुका है जिसकी रिपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर सरकार को भेज दी जायेगी ।
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