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बिहार बाढ़ और सुखाड़ दोनों से प्रभावित राज्य : मुख्यमंत्री
By Deshwani | Publish Date: 21/7/2017 8:25:25 PM
बिहार बाढ़ और सुखाड़ दोनों से प्रभावित राज्य : मुख्यमंत्री

पटना (हि.स.)। बिहार बहु आपदा से प्रभावित राज्य है। बिहार में विचित्र स्थिति है। बिहार बाढ़ और सुखाड़ दोनों से प्रभावित होता है। यहां वर्षा कम हो फिर भी राज्य से जुड़े अन्य क्षेत्रों में हो रही वर्षा से बिहार प्रभावित होता है। यह बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार यहां अधिवेशन भवन में बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 का उद्घाटन करते हुए कहीं ।

उन्होंने कहा कि अगर नेपाल में भारी वर्षा हुई तो नेपाल से निकलने वाली नदियों के पानी में उफान आयेगा। अगर मध्यप्रदेश एवं झारखण्ड में अधिक वर्षा हुई तो दक्षिण बिहार में बाढ़ की स्थिति बन जायेगी। अगर उत्तराखण्ड में अधिक वर्षा हुई तो गंगा के पानी में उफान आ सकता है। उन्होंने कहा कि हमें बाढ़ और सुखाड़ दोनों से लड़ने के लिये हर वर्ष तैयार रहना पड़ता है। हम हर स्थिति का मुकाबला करने के लिये तैयार हैं, इसके लिये लोगों तथा अधिकारियों को तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा पीड़ितों को तत्काल सहायता देने के कार्य की शुरूआत की गयी। कोसी त्रासदी के एक वर्ष पूर्व 2007 में बिहार में बड़ी बाढ़ आयी। बाढ़ से 22 जिले तथा 2.5 करोड लोग प्रभवित हुये थे। लोगों को राहत पहुंचाया गया, आपदा प्रबंधन का कार्य किया गया। राहत कार्य के दौरान कई चीजें सामने आयी। जैसे पहले कहा जाता था कि हमारे यहां छोटे एवं सीमान्त किसान 86 प्रतिशत हैं, लेकिन राहत वितरण के दौरान पता चला कि उनकी संख्या लगभग 96 प्रतिशत है। उसी समय यह तय किया गया कि सब चीजों के लिये मापदण्ड बनायेंगे। किस स्थिति में क्या करना है, इसके लिए एसओपी बनाया जायेगा। 
उन्होंने कहा कि राष्ट्र स्तर पर गुजरात के भूकंप हादसा तथा ओडिशा में आये साइक्लोन के बाद आपदा प्रबंधन के विषय में चर्चा होने लगी कि सिर्फ राहत कार्य से काम नहीं चलेगा। कोसी त्रासदी का उदाहरण देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 में कोसी त्रासदी हुयी थी। 18 अगस्त को नेपाल में कोसी नदी पर बना बांध टूट गया था। उस वक्त हम नेपाल जाकर पूरे चीज को देखना चाहते थे परन्तु इसकी इजाजत नहीं मिली। 20 अगस्त को हमने स्टेट हेलिकॉप्टर से कोसी नदी को देखा। 
उन्होंने कहा कि कोसी नदी में गाद काफी जमा हो गया था, जिस कारण कोसी नदी का बेस काफी ऊपर उठ गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद 15 दिनों तक निरंतर मेहनत हुआ, लोगों को राहत पहुंचाई गयी। पहली बार इतने बड़े स्तर पर राहत शिविर बनाया गया। हम स्पॉट पर जाकर लोगों से बात करते थे, उनकी शिकायत भी सुनते थे। 
वज्रपात के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण अगर मृत्यु होती है तो 24 घंटे के अंदर पीड़ित परिवार को चार लाख रूपये की राशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि वज्रपात का पहले पता नहीं चल सकता है। हमने इस संदर्भ में जानकारी प्राप्त करने का निर्देश दिया तो पता चला कि आन्ध्रप्रदेश में इस तरह का काम हो रहा है। वज्रपात के तीस मिनट पूर्व उससे संबंधित जानकारी मिल जाती है। 
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि इस तकनीक को बिहार में लाइये और उसे लागू कीजिये। अगर वज्रपात से पूर्व उसकी जानकारी मिल जाती है तो उस क्षेत्र के लोगों को सचेत किया जा सकता है। उन्होने कहा कि तत्काल इस तकनीक को बिहार में लाइये, देर नहीं कीजिये, पूरा नेटवर्क तैयार कीजिये। तकनीक को बिहार लाने में जो भी पैसा लगेगा, वह मुख्यमंत्री राहत कोश से दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि गत वर्षों में बिहार में वज्रपात की घटनायें बढ़ गयी हैं। 
बिहार राज्य आपदा जोखिम न्यूनीकरण मंच 2017 के अवसर पर मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन के पारंपरिक ज्ञान पर लिखित पुस्तक ‘धरोहर’ का विमोचन किया तथा संबल एप्प का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पतंगोत्सव के दिन घटित भीषण नाव दुर्घटना में उत्कृष्ट बचाव कार्य करने के लिये श्री राजेन्द्र सहनी, श्री आषुतोष कुमार, श्री संदीप सहनी, श्री सोनू सहनी, श्री जामुन सहनी, श्री पंकज कुमार को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से मुख्यमंत्री को पौधा भेंट किया गया।
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