पुलिस एआईजी हमला मामले में मो. शहाबुद्दीन को हाई कोर्ट से मिली राहत
पटना, (हि.स. )। सीवान के तत्कालीन एसपी और वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) एसके सिंघल पर किये गये जानलेवा हमले में अभियुक्त बनाये गये सीवान से राजद के पूर्व बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन को पटना उच्च न्यायालय ने राहत प्रदान कर दिया वहीं, अन्य दो मामलों में निचली अदालत द्वारा दिये गये सजा को उसने बरकरार रखा।
न्यायाधीश विनोद कुमार सिन्हा की एकलपीठ ने शहाबुद्दीन से जुड़े तीन आपराधिक मामलों और एक अन्य अभियुक्त जहांगीन खान द्वारा दायर अपील की एक साथ सुनवाई करते हुए उक्त आदेश पारित किया।
चारों आपराधिक मामलों की सुनवाई एकलपीठ ने एक साथ की। सीवान की निचली अदालत ने पुलिस अपर महानिदेशक एसके सिंघल पर किये गये जानलेवा हमला में जहां मो. शहाबुद्दीन को दस वर्ष की सजा सुनायी थी, वहीं अन्य दो आपराधिक मामलों में निचली अदालत ने उन्हें 10 एवं 5 साल की सजा सुनाने के साथ उन पर जुर्माना भी लगाया था।
गौरतलब है कि पहला मामला सिवान के दरौंदा मठिया थाना में सीवान के तत्कालीन एसपी एसके सिंघल के उपर किये गये कातिलाना हमला से जुड़ा हुआ है।
इस मामले में तत्कालीन एसपी सिंघल ने अपने बयान में बताया था कि 3 मई , 1996 को करीब 7.30 बजे 10-15 लोगों ने उनपर जानलेवा हमला किया था जिसमें उन्होंने फायरिंग कर रहे मो. शहाबुद्दीन, मो. जहागीर खान और मो. खालिद की पहचान की थी।
निचली अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी करते हुए 3 अगस्त 2016 को मामले में मो. शहाबुद्दीन एवं अन्य को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा और 2 हजार रूपये जुर्माना सुनाया था। इस मामले में शहाबुद्दीन के दो बाॅडीगार्ड को भी अभियुक्त बनाया गया था ?
पटना उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें भा.द. वि की धारा 307 का मामला नहीं बनता है और ना ही पुलिस ने हवाई फायरिंग का कोई पुख्ता साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किया है। हालांकि अदालत ने इस मामले में आम्र्स एक्ट में निचली अदालत द्वारा दिये गये पांच वर्षों की सजा को बरकरार रखने का निर्देश दिया।
वहीं, अन्य दो मामले हुसैनगंज थाना कांड संख्या 42/05 एवं 44/05 से जुड़े हैं। इस मामले में प्रतापपुर में हथियारों का जखीरा, पिस्तौल, कारतूस, विदेशी हथियार बरामद किया गया था। इसमें मो. शहाबुद्दीन को अभियुक्त बनाया गया था जिसमें निचली अदालत ने 5 हजार रूपये जुर्माना के अलावा 10 वर्षों की सजा सुनायी थी। सुनवाई के बाद पटना उच्च न्यायालय ने इन मामलों में पुलिस द्वारा दिये गये साक्ष्य को पर्याप्त मानते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा।
वहीं. प्रतापपुर स्थित शहाबुद्दीन के गेस्ट हाउस में टेलिस्कोप, राइफल, बूलेट प्रूफ जैकेट एवं बड़ी मात्रा में बरामद किये गये गोलियों से सम्बंधित मामले में निचली अदालत द्वारा दी गयी पांच वर्षों की सजा को भी पटना हाईकोर्ट ने बरकरार रखने का भी निर्देश दिया।
पटना उच्च न्यायालय ने एसपी सिंघल पर जानलेवा हमले में अभियुक्त बनाये गये दो बाॅडीगार्ड को इस मामले से बरी करने का आदेश दिया।