पटना, (हि.स.)| राजद की ओर से सीबीआई मामले में फंसे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के स्वत: इस्तीफा नहीं देने और पद पर बने रहने के रुख पर अब सबों की निगाहें जदयू अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रुख और फैसले पर टिकी है। नीतीश ने अपने पार्टी संगठन को मजबूत करने की कार्ययोजना पर विमर्श के लिए मंगलवार को पहले से अपने आवास पर पार्टी के प्रमुख नेताओं की राज्य स्तरीय बैठक बुला रखी है।
लालू परिवार पर सीबीआई, आयकर और ईडी का कसते शिंकजा और विशेष रूप से उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को एक मामला का आरोपी बना दिये जाने से यह सवाल कौंध रहा है कि क्या नीतीश उनसे आरोप मुक्त होने तक स्वत: इस्तीफा देने को कहेंगे या जमानत की अर्जी नतीजा आने तक आने तक इंंतजार करेंगे।
ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने सोमवार को यहां कहा कि मुख्यमंत्री के 1 अणे मार्ग स्थित आवास पर मंगलवार को 11 बजे की बैठक काफी पहले से तय है। इस बैठक में पार्टी के सांसद, विधायक, प्रदेश पदाधिकारी, विभिन्न प्रकोष्ष्ठों के प्रमुख और जिलाध्यक्षों को बुलाया गया है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा सदस्यता अभियान और गांव स्तर तक संगठन को मजबूत करने की कार्ययोजना पर विमर्श होगा।
संसदीय कार्य मंत्री के अनुसार प्रदेश में मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में मीडिया की नजर जदयू की यह बैठक खास हो गयी है। उन्होंने लालू परिवार पर ताजा संकट पर कुछ बोलने से मना कर दिया। इधर 8 जुलाई को सीबीआई की लालू के एक दर्जन ठिकानों पर छापामारी के बाद नीतीश कुमार की चुप्पी और जदयू नेताओं को प्रतिक्रिया देने से बचते रहने से यह संशय का विषय बना है कि आखिर नीतीश क्या फैसला लेते है। पहले चार ऐसे मामले में वह अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगियों जीतन राम मांझी,रामानंद सिंह,रामाधार सिह और अवधेश कुशवाहा से इस्तीफा ले चुके है।