पटना, (हि.स.)। बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि सूबे की विकास योजनाएं राज्य में उत्पन्न गंभीर राजनीतिक अस्थिरता की भेंट चढ़ रही है। चालू वित्तीय वर्ष के तीन माह बीत चुके हैं। योजना मद की पहली किस्त की राशि विभागों को दी जा चुकी है, लेकिन बीस ऐसे विभाग हैं जहां फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की गयी है। इन विभागों ने खर्च का खाता तक नहीं खोला है।
यादव ने रविवार को यहां कहा कि वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होते ही अप्रैल माह से विकास योजनाओं का कार्यान्वयन प्रारंभ हो जाता है। जून तक तीन माह बीत चुके हैं। अब तक मात्र साढ़े छह प्रतिशत राशि खर्च हुई है। बीस विभाग तो पूरी तरह फिसड्डी साबित हुआ है जिसमें कृषि, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण, पंचायती राज, समाज कल्याण, परिवहन उद्योग, सहकारिता सहित बीस ऐसे विभाग हैं जिनका जन सरोकार से सीधा सम्बन्ध है।
उन्होंने कहा कि निर्माण से जुड़े जिन विभागों ने खर्च का खाता नहीं खोला है, बरसात के बाद ही खोल पायेंगे अब तीन माह और विकास योजनाओं को ग्रहण लगा रहेगा। एनडीए के शासन में विकास और निर्माण से सम्बद्ध विभाग वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में ही जोर-शोर से कार्य प्रारंभ कर दिया करते थे।
यादव ने कहा कि महागठबंधन में मची उठापटक और चरम पर चल रही गुटबाजी का सीधा असर सूबे के राजपाट पर पड़ रहा है। असमंजस में पड़े नौकरशाहों की नजर राजनीतिक गतिविधियों की ओर अधिक है। राज्य के कई हिस्से में वर्षा और नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों से पानी छोड़े जाने के कारण राज्य के एक बड़े हिस्से में बाढ़ की संभावना व्यक्त की जा रही है।