बिहार
इंटर कापी टेंडर घोटाला : कोर्ट ने दी लालकेश्वर व हरिहरनाथ को जमानत
By Deshwani | Publish Date: 7/7/2017 6:16:05 PMपटना, (हि.स.)| बिहार के बहुचर्चित इंटर कापी टेंडर घोटाला में अभियुक्त बनाये गये बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह एवं पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा को पटना उच्च न्यायालय ने बडी राहत प्रदान करते हुए उन्हें शुक्रवार को जमानत दे दी ।
न्यायालय ने इस मामले के किंगपीन विकास कुमार की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके विरुद्ध जांच में साक्ष्य मिला है। वह चाहें तो जमानत के लिये नये सिरे से याचिका शुक्रवार को दायर कर सकते हैं।
न्यायाधीश बिरेन्द्र कुमार की एकलपीठ ने लालकेश्वर प्रसाद सिंह , हरिहरनाथ झा तथा विकास कुमार की नियमित जमानत याचिका पर एक साथ सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुनाया। उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त 2016 को दर्ज मैट्रिक और इंटर कॉपी घोटाले में पुलिस ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें पुलिस ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद और पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा एवं स्टोर कीपर विकास कुमार समेत सात लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। इन सभी पर गुजरात के व्यापारी ब्रीजल कुमार भरत भाई शाह के साथ जालसाजीए धोखाधड़ी कर साढ़े आठ करोड़ रुपए ठगने का आरोप लगाया गया था।
पुलिस ने पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर, पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा, स्टोर कीपर विकास कुमार, राजकिशोर प्रसाद गुप्ता, सदानंद शंकर और अजय कुमार सिंह और रजनीकांत को अभियुक्त बनाया गया था।
दरअसल, इस मामले का खुलासा स्टोर कीपर विकास कुमार ने पुलिस के समक्ष किया था। विकास ही इस खेल का सरगना था। उसने कहा था कि पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर और पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा के मौखिक आदेश पर ठगी का खेल किया है। कॉपी टेंडर वाले दस्तावेज पर मेरा और सचिव के रूप में हरिहरनाथ झा का हस्ताक्षर है। मेरे वर्क आर्डर पर ही बिंदिया इंटर प्राइजेज से कॉपियां मंगायी गई थी।
कॉपी का टेंडर देने के लिए ब्राजील शाह ने मुझे 25 हजार रुपये दिए थे। इस मामले एसआइटी ने औरंगाबाद से इंटर परीक्षा 2016 की विज्ञान की उत्तरपुस्तिकाएं बड़े पैमाने पर बरामद की थी। इस कांड के वादी ने कहा था कि 28 ट्रक उत्तर पुस्तिकाएं गुजरात से भेजी गई थीं। साढ़े आठ करोड़ का घोटाला करने मामला कोतवाली थाना में 5 अगस्त 2016 को दर्ज किया गया था।
शुक्रवार को सुनवाई के क्रम में अदालत को बताया गया कि बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद व सचिव हरिहरनाथ झा के विरुद्ध सीधे तौर पर कोई साक्ष्य नहीं है। इन लोगों ने किसी भी कार्यानुमति पत्र अथवा एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर नहीं किया है। बल्कि इस मामले का मुख्य किंगपिन विकास कुमार है जिन्होंने यह पूरा खेल रचा था। उसी ने फर्जी तरीके से कापियों को छापने का आदेश दिया है। साथ ही साथ इन्होंने कार्य के बदले चार लाख रुपये भी अपने एकाउंट में मंगाया था।