बिहार
कैबिनेट ने मुखियों के पर कतरे, वार्ड सदस्यों की ताकत में इजाफा
By Deshwani | Publish Date: 29/6/2017 5:43:46 PM- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया यह अहम निर्णय
पटना। देशवाणी न्यूज नेटवर्क
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार पंचायत राज अधिनियम- 2006 में संशोधन पर मुहर लग गई। सरकार की इस पहल से त्रिस्तरीय पंचायतों में चल रही योजनाओं खासकर सात निश्चय को अमलीजामा पहनाने में आड़े आ रही बाधा दूर हो गई। अब आसानी से योजनाओं के चयन और क्रियान्वयन की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण हो सकेगा। इससे ग्राम पंचायतों के एक लाख,15 हजार वार्ड सदस्यों की ताकत बढ़ गई हैं। वार्ड स्तर पर समिति गठन के लिए अधिनियम में धारा 170 ख और ग जोड़ी गई है। धारा 170 ग के तहत राज्य सरकार को यह शक्ति मिल गई है कि वह वार्ड के लिए अनुमोदित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वार्ड समिति को आदेश देगी। यह बिहार पंचायत राज अधिनियम- 2006 की धारा-146 के तहत बिहार वार्ड सभा क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति कार्य संचालन नियमावली-2017 में संशोधन के तहत यह संभव हुआ है।
वार्ड सभा के विचार के लिए विकास कार्यक्रमों की प्राथमिकता समिति तय करेगी। जलपूर्ति, सार्वजनिक स्वच्छता इकाइयों और अन्य सार्वजनिक सुविधा योजनाओं के लिए उपयुक्त स्थल का चयन करेगी। महामारी तथा प्राकृतिक आपदा की रोकथाम के लिए वार्ड सभा/ग्राम पंचायत के सामान्य नियंत्रण के अधीन कार्य करना और इनके द्वारा सौंपे गए कार्यक्रमों और दायित्वों का क्रियान्वयन करना होगा।
पंचायत समितियां होंगी सशक्त
सरकार ग्राम पंचायत के अधीन गठित सभी समितियों को और सशक्त बनाया जाएगा। योजनाओं-कार्यक्रमों का अनुश्रवण और पर्यवेक्षण भी समितियां करेंगी। पंचायत में योजना, समन्वय और वित्त समिति, उत्पादन समिति, सामाजिक न्याय समिति, शिक्षा समिति, लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण और ग्रामीण स्वच्छता समिति और लोक निर्माण समिति होगी।
उप मुखिया सामाजिक न्याय समिति के पदेन अध्यक्ष होंगे। पहले मुखिया को अधिकार था कि वह निर्वाचित सदस्यों के बीच से किसी को अध्यक्ष नामित करे।
पंचायत निधि की राशि के उपयोग पर राज्य सरकार का आदेश मानना ग्राम पंचायतों के लिए अब बाध्यकारी होगा।
पटना हाईकोर्ट ने किया था खारिज
पटना हाईकोर्ट ने 17 मई को इस दलील के साथ पंचायत के वार्ड विकास समिति के गठन को खारिज किया था कि इसका प्रावधान बिहार पंचायत राज अधिनियम में नहीं है। इसके बाद सरकार ने अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया है। सात निश्चय के तहत हर घर नल से जल और गली-नाली पक्कीकरण का काम वार्ड विकास समिति से कराने के सरकार के फैसले के खिलाफ मुखिया संघ कोर्ट गया था।