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बिहार की लोकभाषाओं का दस्तावेज तैयार होगा
By Deshwani | Publish Date: 22/6/2017 6:06:30 PM
बिहार की लोकभाषाओं का दस्तावेज तैयार होगा

पटना,  (हि.स.)। बिहार में बोली जानी वाली लोकभाषाओं जैसे मैथिली, अंगिका, वज्ज्किा मगही, भोजपुरी, सूर्यापुरी, संथाली, थारू और उर्दू की कथाओं और कहानियों का संग्रह कर दस्‍तावेज तैयार किया जाएगा। बाद में इसका प्रकाशन और डिजिटलाइजेशन भी किया जाएगा।

इसे वेब के अलावा पटना म्‍यूजियम और बिहार म्‍यूजियम व अन्‍यों जगहों पर उपलब्‍ध कराया जाएगा । उक्त जानकारी गुरुवार को यहां बिहार के कला संस्‍कृति एवं युवा विभाग के मंत्री शिवचंद्र राम ने बिहार विरासत विकास समिति के कार्यालय में आयोजित प्रशिक्षण शिविर के लिए समीक्षा बैठक में कही। उन्होंने बताया कि समिति कार्यालय में प्राचीन लिपि और प्राचीन सिक्‍कों को लेकर एक जुलाई से 15 जुलाई तक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है।
इसमें राज्‍यभर से आने वाले विद्यार्थी शोधार्थी और इस विषय में अध्‍ययनरत अन्‍य लोग शामिल होंगे। यह अभूतपूर्व पहल है। उन्‍होंने बताया कि बिहार की विरासत को आगे बढ़ाने की दिशा में राज्‍य सरकार कई कदम उठा रही है। आगामी 2 एवं 3 अक्‍टूबर को राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की जयंती पर वैशाली जिले के लालगंज में उनके चंपारण सत्‍याग्रह से संबंधित सेमीनार का आयोजन किया जाएगा। बिहार विरासत विकास समिति के निदेशक डॉ.विजय कुमार चौधरी ने कहा कि अभी हाल ही में काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्‍थान द्वारा बिहार के 6000 से ज्‍यादा आर्किलॉजिकल साइटों का अन्‍वेषण किया गया है । इसमें चार प्रमुख रूप से गजेटियर के रूप में प्रकाशित हो चुका है। ये चार साइटस हैं : नालंदा, वैशाली, कैमूर और समस्‍तीपुर वहीं गया के साइट पर काम अंतिम चरण में है। अभी तक 1500 गांवों का डॉक्‍यूमेंटेशन हो गया है । यह बिहार की विरासत से संबंधित है। इन्हें प्रकाशन भी होगा और वेब पर भी डिजिटल फॉर्म में होगा। समीक्षा बैठक के दौरान पुरातत्‍व विभाग के निदेशक अतुल वर्मा सहित कई अन्‍य पदाधिकारी मौजूद थे।


 

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