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बिहार की बर्बाद शिक्षा नीति का नतीजा है इंटरमीडिएट रिजल्‍ट: सतीश
By Deshwani | Publish Date: 7/6/2017 5:55:47 PM
बिहार की बर्बाद शिक्षा नीति का नतीजा है इंटरमीडिएट रिजल्‍ट: सतीश

पत्रकारों से रूबरू होते जलोपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष

पटना। देशवाणी न्यूज नेटवर्क


 बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के इंटर की परीक्षा में 64.75 प्रतिशत छात्रों के फेल होने एवं लगातार सात दिनों से बिहार में आंदोलनरत छात्रों के सवाल पर जनतांत्रिक लोकहित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व विधायक सतीश कुमार, प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार और चर्चित समाजसेवी डॉ स्मिता शर्मा ने पेंशनधारी जेपी आंदोलन सेनानियों को ललकारते हुए आंदोलन का नेतृत्व पुनः संभालने का आह्वान किया। आज पटना स्थित होटल पाटलिपुत्रा एग्‍जॉटिका में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने संयुक्‍त रहा से कहा कि 18 मार्च 1974 को जेपी ने छात्र आंदोलन की बदौलत व्यवस्था परिवर्तन हेतु सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया था, जिसके मूल तत्वों में से एक शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन था।
उन्‍होंने कहा कि आज जेपी के तथाकथित अनुयायी 27  वर्षों से सत्ता में है। जेपी के अनन्य भक्त सुशील मोदी भी 10 वर्षों तक सत्ता में रहकर आज विपक्ष कि भूमिका में है, लेकिन इन सभी लोगों ने बिहार कि शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि सच्चाई यह है कि सुशासन बाबू की शिक्षा नीति फेल हो गई। इनकी कार्रवाई में भी निष्पक्षता नहीं है। उन्‍होंने राज्‍य की शिक्षा नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश में 2006 के बाद शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। 2006 में 21 हजार नियोजित शिक्षक बहाल हुए। आज हाई स्कूल में 6500, +2 स्कूल में 9202 शिक्षक के पद खाली हैं। 5490 ग्राम पंचायत +2 स्कूल विहीन हैं।
उन्‍होंने बताया कि बिहार सरकार की नियमावली के अनुसार, प्रत्येक माध्यमिक स्कूल में 10 विषयवार शिक्षक तथा उच्च माध्यमिक स्कूल में 16 विषयवार शिक्षक होने चाहिए। जबकि माध्यमिक शिक्षा संघ की रिपोर्ट कहती है कि हजारों स्कूल ऐसे है जहां सिर्फ एक या दो शिक्षक ही स्कूल का संचालन करते हैं। वहीं मात्र 20 - 25 ही ऐसे स्कूल है, जहां सारे विषय के शिक्षक उपलब्ध है। ऐसे में जहां शिक्षकों की भारी कमी है, वहीं कार्यरत शिक्षक पोशाक वितरण, साइकिल वितरण, मध्याह्न भोजन योजनाओं में ही पस्त हैं। उन्‍होंने कहा कि जब सिलेबस भी पूरा नहीं हो पाता है, वहां रिजल्ट इतना ख़राब तो होगा ही। नक़ल रोकने से रिजल्ट ख़राब हुआ, यह सरकार की ढकोसलाबाजी है। यह सच्चाई से मुंह मोड़ना है जो अब नहीं चलेगा।
श्री कुमार ने मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से इस्‍तीफे की मांग करते हुए पूछा कि सत्ता के लिए संघर्ष के दौरान जब वे रेल मंत्री थे, तब रेल दुर्घटना पर इस्तीफा देते थे। आज वो नीतीश कुमार कहां हैं। जबकि आज राज्य के 10 जिलों के 654 विद्यालयों में 100 % छात्र फेल है, जिसमें उनका चहेता जिला नालंदा भी शामिल है। शिक्षकों की भारी कमी है, कार्य संस्कृति का घोर अभाव है तो वास्तव में दोषी सुशासन बाबू की नीति है। इसलिए उन्हें इस्तीफा देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सुशासन बाबू का चरित्र यही है कि बड़े शिक्षा माफियाओं के साथ गलबहियां करते हैं और  छोटे मोटे निजी स्कूलों को शिक्षा का अधिकार कानून का भय दिखाकर तथा सरकारी शिक्षण संस्थान को बर्बाद करते हैं। राज्य के छात्र अपने भविष्य के लिए आंदोलन करते हैं तो उनपर पुलिसिया जुल्म ढाया जाता है। ऐसे में जलोपा चुप नहीं बैठने वाली है, छात्र आंदोलन को जलोपा का नैतिक समर्थन है।    

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