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बिहार में चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन जारी
By Deshwani | Publish Date: 25/5/2017 6:28:26 PM
बिहार में चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन जारी

पटना । देशवाणी न्यूज नेटवर्क


पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन गुरुवार को भी जारी रही। हड़ताल का सबसे बुरा असर पीएमसीएच पर पड़ रहा है जहां लगातार मरीजों की मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। पिछले 30 घंटे में अब तक 17 मरीजों की मौत हो चुकी है। इधर स्वास्थ्य विभाग के सचिव आरके महाजन ने हड़ताल पर संज्ञान लेते हुए डॉक्टरों को बातचीत के लिए पटना सचिवालय बुलाया है।  वहीं, पीएमसीएच में मरीजों के बीच कोहराम मचा है और इलाज के बिना मरीज तड़प रहे हैं यहां तक कि अस्पताल में नये मरीजों को भर्ती तक नहीं लिया जा रहा है। इमरजेंसी वार्ड हो या ओपीडी कहीं भी मरीजों को सही इलाज नहीं मिल रहा है। अस्पताल प्रबंधन ने हड़ताल से निपटने के दावे किये थे लेकिन ये दावे पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। बता दें कि मेडिकल छात्रों पर पीजी मैट की काउंसेलिंग के दौरान जूनियर डॉक्टर और पुलिस के बीच भिड़ंत हो गयी थी। इसके बाद उनपर लाठीचार्ज किया गया था। जिसके विरोध में बुधवार से पीएमससीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गये हैं। उनके समर्थन में दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल हो गए थे और आज नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के जूनियर डॉक्टर्स भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। हड़ताल की वजह से पीएमसीएच, डीएमसीएच सहित एनएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है। मिली जानकारी के मुताबिक पीएमसीएच में ही इलाज के अभाव में 17 लोगों की मौत हो गई है और वहीं अस्पताल से 2 दिनों में 300 से ज्यादा मरीज पलायन कर चुके हैं। हालांकि अबतक 24 अतिरिक्त सीनियर डॉक्टर  प्रतिनियुक्त किये गए हैं। पीएमसीएच में हड़ताल के कारण रामदुलारी देवी सहित 12 मरीजों की मौत हो गयी। वहीं, अस्पताल प्रशासन का दावा है कि हड़ताल के कारण मौत नहीं हुई है। जितनी भी मौत हुई है, उन मरीजों की हालत पहले से ही गंभीर थी। इधर इमरजेंसी वार्ड में एक भी ऑपरेशन नहीं हो सका. जबकि, आम दिनों में इमरजेंसी में पांच से छह ऑपरेशन होते हैं। इधर पीएमसीएच के अधीक्षक डा.लखीन्द्र प्रसाद ने कहा कि पीएमसीएच को बाहर के 50 डॉक्टर मिले थे। 22 डॉक्टरों को दोपहर तक ज्वाइन भी करा लिया गया। इन डॉक्टरों से ओपीडी, वार्ड में मदद ली गयी. जितने भी मरीजों की मौत हुई है, वे पहले से ही गंभीर हालत में थे। कुछ मरीज तो रेफर होकर आये थे। 

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