पटना। देशवाणी न्यूज नेटवर्क
जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय संरक्षक व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर गरीब-पिछड़ा-यादव का स्वांग रचाने का आरोप लगाया। श्री यादव ने कहा कि लालू प्रसाद गरीब नहीं हैं। इसलिए गरीब-गरीब का रोना बंद कर दें। वे दया के पात्र भी नहीं हैं। कौन फंसायेगा उनको। वे तो दौलतमंद हैं। परेशान तो गरीब जनता होती है। वह आज भी परेशान हैं।
श्री यादव ने कहा कि लालू प्रसाद तो कारपोरेट हो गए,स्वयं उनके राष्ट्रीय प्रवक्ता कहते हैं। साथ में,यह भी कि कारपोरेट होना कोई गुनाह है क्या। संपत्ति 2 हजार करोड़ की बताई जा रही है। इसलिए दौलत का हिसाब दीजिए। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कहा कि लालू प्रसाद को लग रहा है कि उन्हें कोई फंसा रहा है। इसलिए अगर ऐसे लोगों के पास अधिक संपत्ति है,तो स्टेट विजिलेंस से जांच करा दीजिए। चाहे सुशील कुमार मोदी,नंदकिशोर यादव,नित्यानंद राय ही क्यों न हों।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद 1990 को नहीं भूलें। सच तो ये है कि,तब वे गरीब थे। गरीब की आवाज भी बने हुए थे। तभी तो बिहार के करोड़ों लोगों ने उनको नेतृत्व सौंपा था। ये लोग बिहार के गरीब, वंचित और मजबूर लोग थे। लालू प्रसाद ने सबों के अरमानों को रौंद दिया। वे गरीबों के नेता नहीं रह गए,पूंजीपतियों के करीब होते चले गए।
सांसद ने कहा कि लालू प्रसाद का दरवाजा विशेषकर बालू, जमीन, दारु व बिल्डिंग माफिया के लिए खुलने लगा। ये माफिया जितना बिहार और बाद में देश को लूट रहे थे, लालू प्रसाद और उनका परिवार उतना ही अधिक अमीर होता चला जा रहा था। सो, अब गरीब-गरीब वे जब भी दोहराते हैं, लोग बस हंसते रह जाते हैं।
बिहार ने उनको पहचान लिया है। रोज उनके अमीरी के नये खाते पब्लिक के सामने आ रहे हैं,जिसे उन्होंने छुपा-दबा रखा था। उन्होंने संपत्ति की भूख इतनी बढ़ा ली कि बच्चों का भी नाश करा दिया। बच्चों को जब अपने लक्ष्य को प्राप्त करना था,तब उन्हें अब संपत्ति बचाने को लीगल फाइट में समय जाया करना होगा। हम चाहते हैं कि मीसा भारती के सामने पूछताछ का जो संकट अभी सामने आया है,उसमें दूध का दूध – पानी का पानी हो।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के पक्ष में आज शिवानंद तिवारी जी ने कमान थाम रखी है, लेकिन सच तो यह है कि आज जो जांच शुरु हुई,उसके सूत्रधार 2008 में खुद शिवानंद तिवारी और ललन सिंह ही थे। इन दोनों ने ही सारे कागजात जुटाकर जांच एजेंसियों को सौंपे थे। इसलिए,जांच तो होकर रहेगी,चाहे लालू प्रसाद कोई भी रैली कर लें।