मेदिनीनगर, (हि.स.)। पलामू में एक बार फिर खरीफ की खेती पिछड़ती नजर आ रही है।
कृषि विभाग के आकड़ों की मानें तो 28 जुलाई तक जिले में निर्धारित लक्ष्य से महज छह प्रतिशत धान की रोपनी के साथ दलहनी, तिलहनी फसलें तथा मक्का की बुआई में भी 50 प्रतिशत की कमी आई है। दलहनी, तिलहनी और मक्का की बुआई पूरी पिछड़ चुकी है। हालांकि अभी धान की रोपनी के लिए कुछ समय बचा है।
जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में अगर किसान मक्का और दलहनी-तिलहनी फसलों की बुआई करते हैं तो भी पैदावार अपेक्षा से काफी कम ही रहेगी। विभाग के आकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ फसल के सीजन में 47 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान उगाने के लक्ष्य के लिए पर्याप्त मात्रा में बिचड़े लगाए गए। लेकिन धान की रोपनी के लिए पर्याप्त वर्षा नहीं होने से फसल की विकास गति धीमी रही। अब तक जिले में लक्ष्य से महज 3183 हेक्टेयर में धान की रोपनी हुई जिसमें चैनपुर, पांकी और मनातू गावं सबसे आगे हैं।
दलहनी फसलों की बुआई 49,300 हेक्टेयर लक्ष्य के मुकाले महज 20,535 हेक्टेयर (41.7 प्रतिशत) और तिलहन की बुआई 2390 हेक्टेयर लक्ष्य के मुकाबले 982 हेक्टेयर(41.1 प्रतिशत) में हुआ। जिले की जरूरी फसल मकई की बुआई भी लक्ष्य से काफी पीछे है। आकड़ों से पता चला कि 27,520 हेक्टेयर में मक्का की फसल लगाने का लक्ष्य था लेकिन लक्ष्य से महज 18,614 हेक्टेयर में मक्के का अच्छादन हुआ, जो लक्ष्य से 67.6 प्रतिशत है।
दो साल से लगातार अकाल और सूखे के बाद पिछले साल भी असमय बारिश होने की वजह से खरीफ की फसल की पैदावार प्रभावित हुई थी। इस साल भी खरीफ फसल प्रभावित होने की आशंका से जिले के किसानों में खलबली मची हुई है।