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झारखंड
पानी न शौचालय, यह कैसा आवासीय विद्यालय
By Deshwani | Publish Date: 27/8/2017 11:12:09 AM
पानी न शौचालय, यह कैसा आवासीय विद्यालय

पाकुड़, (हि.स.)। देश के दस सबसे पिछड़े प्रखंडों में से एक जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड में विकास के चाहे जितने भी दावे सरकार करती हो लेकिन आज भी विकास यहां से कोसों दूर है। इसका नायाब नमूना है प्रखंड के कुंजबोना का अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय । यहां रहने वाले बच्चों के लिए न तो पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध है और न ही शौचालय। बच्चे जहां नदी किनारे खुले में शौच करने जाते हैं वहीं पीने के पानी के लिए झरने पर निर्भर हैं। 

प्रखंड मुख्यालय से तेरह किलोमीटर दूर कुंजबोना पंचायत के पहाड़ों जंगलों से घिरे डांगापाडा गांव में स्थित है यह विद्यालय। कल्याण विभाग ने करोड़ों की लागत से आवासीय विद्यालय का निर्माण तो करवा दिया है । लेकिन यहां रहने वाले बच्चों के लिए पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई है । फलस्वरूप बच्चों को विगत दस वर्षों से झरने का गंदा पानी पीना पड़ता है। विद्यालय परिसर स्थित कुआं जर्जर स्थिति में पड़ा हुआ है। इस संबंध में पूछे जाने पर जिला परिषद सदस्य बेसगी पहाड़िन ने बताया कि कल्याण विभाग ने विद्यालय के लिए डीप बोरिंग की स्वीकृति दी थी। जिसे ठेकेदार ने विद्यालय परिसर से बाहर गांव में करवा दिया। इससे आज तक विद्यालय को पेयजल की आपूर्ति नहीं की जा सकी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2001-02 में कल्याण विभाग ने विद्यालय परिसर में पांच शौचालयों का निर्माण शुरू करवाया था। वो भी आवंटन के अभाव में आज तक अधूरा पड़ा है। नतीजतन बच्चे संपूर्ण स्वच्छता अभियान को मुंह चिढ़ाते हुए खुले में शौच को मजबूर हैं। बच्चों को स्नान के लिए भी कोई पौन किलोमीटर दूर बहने वाली नदी को जाना पड़ता है, जो कभी भी किसी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। विद्यालय में बिजली का कनेक्शन तो है लेकिन बिजली कभी कभार ही मिल पाती है। फलस्वरूप बच्चे रोशनी के अभाव में ही सो जाते हैं । 
बीडीओ सत्यवीर रजक ने मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि अब तक यह मेरे संज्ञान में नहीं आया था। मैं शीघ्र ही कल्याण विभाग के अधिकारियों को सूचित कर अधूरे पड़े शौचालयों के निर्माण का कार्य पूरा करवाउंगा । जबकि जिप सदस्य बेसगी पहाड़िन ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जिला कल्याण पदाधिकारी सहित डीसी को भी लिखित देकर समस्याओं के समाधान का आग्रह किया है।
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