पाकुड़, (हि.स.)। एनजीटी के निर्देश पर दस जून से मानसून सत्र को मानते हुए आगामी 15 अक्टूबर तक जिले के सभी घाटों से बालू खनन तथा उठाव पर पूर्णतः रोक लगाए जाने के बावजूद अमडापाड़ा तथा महेशपुर प्रखंड स्थित बांसलोई नदी में धड़ल्ले से बालू खनन तथा उठाव जारी है।
उल्लेखनीय है कि जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात समिति की बैठक में गत पांच जून को सर्वसम्मति से जिले के सभी बालू घाटों से बालू खनन तथा उठाव पर पूर्णतः रोक लगाए जाने का निर्णय लिया गया था। इसके तहत डीसी ए. मुथु कुमार ने आदेश दिया था कि अगर कोई इसका उल्लंघन करता पाया गया तो उसके खिलाफ सीधे कानूनी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन धंधेबाजों ने डीसी के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए अपना धंधा बदस्तूर जारी रखा है। अमडापाड़ा स्थित बांसलोई नदी में भरी दुपहरिया यह नजारा बखूबी दिखा।
जिले में कुल 12 बालू घाट हैं, जिनमें से अमडापाड़ा में दो तथा महेशपुर में दस बालू घाट हैं, जिन्हें खनन विभाग ने विधिवत तौर पर निलाम किया है। इनके अलावा जिले में तकरीबन ढाई दर्जन से अधिक अवैध बालू घाटों का संचालन सुविधा शुल्क के एवज में किया जाता है। हालांकि लगातार मिल रही शिकायतों के मद्देनजर खनन विभाग ने करीब दस घाटों को सील करते हुए खनन और उठाव पर पूर्णतः रोक लगा रखी है। लाइसेंस धारक ही बालू की बिक्री कर सकते हैं। जिले में कुल सात लोगों को बालू स्टाॅक करने का लाइसेंस दिया गया है, जिनमें से एक सिर्फ एक को छोड़ किसी के भी पास सीटीओ के अलावा पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं है।
एनजीटी के नियमानुसार, पूर्व से डंप स्टॉकिस्ट खत्म होने के बाद वे भी इस रोक के दौरान बालू खनन तथा उठाव नहीं कर सकते हैं। अगर ऐसा करते हुए पकड़े गए तो नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बकौल सहायक जिला खनन पदाधिकारी सुरेश शर्मा हमें भी जानकारी मिली है कि कुछ जगहों पर चोरी छिपे लोग अभी भी बालू खनन तथा उठाव कर रहे हैं। हम शीघ्र ही उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
चार महीने तक बालू उठाव पर पूर्णतः रोक लगाए जाने के चलते आम जनता के अलावा सरकार के द्वारा चलाए जा रहे विकास के काम भी बाधित होंगे। इससे एक ओर जहां आमजन को अपना मकान दुकान बनाने में कठिनाई होगी। वहीं सरकार के निर्माणाधीन पक्के काम, सड़क, पुल-पुलिया के साथ ही भवन निर्माण के काम भी प्रभावित होंगे।