नई दिल्ली, (हि.स.)। अपर डिविजन क्लर्क नरेश कुमार आम दिनों की तरह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रशासनिक भवन में सोमवार को भी काम कर रहे थे। जब संवाददाता ने पूछा कि आप ही नरेश कुमार हैं और आपके ही खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है तो उन्होंने कहा कि उन्हें तो पता तक नहीं है कि सीबीआई ने उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज किया है। हां, उन्होंने इतना जरूर कहा कि सीबीआई के लोग एक बार उनसे मिलने जरूर आए थे और उनसे बयान लेकर चले गए।
उल्लेखनीय है कि पिछले 10 जनवरी को सीबीआई ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। उनके खिलाफ एजेंसी ने 120 बी, 420, 467, 468, 471 एवं भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम की धारा-13(1)(डी) व 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है। एजेंसी की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया है कि 2013-14 के दौरान एम्स के स्टोर अॉफिस नेे टेंडर दिए थे। इसमें कुछ कंपनियों के साथ मिलीभगत कर नरेश कुमार ने घोटाले को अंजाम दिया। सूत्रों से मिली खबर के आधार पर नौ अगस्त,2017 को जांच की कार्रवाई शुरू की गई है।
जांच में पता चला कि टेंडर देने के लिए शल्य चिकित्सा विभाग के तत्कालीन प्रमुख डॉ एमसी मिश्रा ने एक कमिटी भी गठित की थी। जांच में यह भी पता चला कि दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर घोटाले को अंजाम दिया गया। फिर पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद सीबीआई ने जगमोहन ऋषि, नरेश कुमार, चांदनी झट्टा व कुछ अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर लिया।
जब नरेश कुमार के मौजूदा प्रभारी मंजुल रस्तोगी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बाबत कुछ पता नहीं है। जब उनसे यह कहा गया कि अब तो उन्हें जानकारी हो गई है तो उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें कुछ लिखित आदेश नहीं मिलता तब तक वह कुछ नहीं कर सकते। इस बाबत सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि सीबीआई अपनी कार्रवाई कर रही है और बहुत जल्द आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।