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सुप्रीम कोर्ट विवाद का राजनीतिकरण से बाज आएं नेता: बार काउंसिल
By Deshwani | Publish Date: 13/1/2018 8:43:50 PM
सुप्रीम कोर्ट विवाद का राजनीतिकरण से बाज आएं नेता: बार काउंसिल

नई दिल्ली, (हि.स.)। न्यायिक बिरादरी और सरकार ने भारतीय न्यायपालिका में उपजे अभूतपूर्व विवाद को सुलझाने के लिए शनिवार को गहन प्रयास किये तथा विश्वास व्यक्त किया कि यह मामला शीघ्र ही हल कर लिया जाएगा।

 
 
देश में न्यायिक कामकाज को नियमित करने वाली शीर्ष संस्था बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन ने आज आपात बैठकें की तथा यह विवाद न्यायपालिका के दायरे में ही हल किये जाने पर जोर दिया। बार काउंसिल ने उच्चतम न्यायालय के चार असंतुष्ट न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश के बीच पैदा हुए मतभेदों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की।
 
बार काउंसिल ने सात सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल गठित किया है। प्रतिनिधिमंडल उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों से पूरे मसले पर विचार-विमर्श करेगा। बार काउंसिल का मत है कि सभी मामलों को हल करने के लिए न्यायपालिका में एक आंतरिक प्रणाली मौजूद है, जिसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
 
 
उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति जोसेफ कुरियन और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने शुक्रवार को एक प्रेस कांन्फ्रेंस कर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा द्वारा न्यायिक कार्यों के आवंटन और उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाये थे। न्यायाधीशों द्वारा अपनी आपत्तियां प्रेस कांन्फ्रेंस के जरिए सार्वजनिक रूप से व्यक्त किये जाने की व्यापक आलोचना हुई थी। हालांकि कुछ हल्कों में उनके कृत्य को साहसिक बताया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रेस कांन्फ्रेंस की थी| भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सांसद डी.राजा न्यायमूर्ति चेलमेश्वर से मिलने के लिए उनके आवास पर गए थे।
 
केन्द्र सरकार ने इस पूरे प्रकरण में सार्वजनिक रूप से किसी का पक्ष नहीं लेते हुए कहा था कि यह विवाद न्यायपालिका को स्वयं हल करना है| इस काम में सरकार कोई दखलअंदाजी या पहल नहीं करेगी।
 
 
इस बीच आज प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्रा मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के आवास पर पहुंचे थे| इससे कयास लगाया गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय पूरे प्रकरण को सुलझाने के लिए कोई प्रयास कर रहा है। बाद में श्री नृपेन्द्र मिश्रा ने स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत काम से मुख्य न्यायाधीश के आवास गए थे। उन्होंने कहा कि वह मुख्य न्यायाधीश से भेंट नहीं कर पाए।
 
दूसरी ओर केन्द्र सरकार के सबसे वरिष्ठ विधि अधिकारी एटार्नी जनरल के.के.वेणुगोपाल ने आशा व्यक्त की कि मामले को शीघ्र ही सुलझा लिया जाएगा| उन्होंने उम्मीद जताई कि सोमवार से उच्चतम न्यायालय में सामान्य रूप से कामकाज होगा। बार कौंसिल की बैठक के बाद संस्था के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि उनका मानना है कि मौजूदा मामले को यथाशीघ्र हल कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जजों की नियुक्ति किए जाने की प्रक्रिया को शीघ्र ही अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। इस संबंध में बार काउंसिल सरकार को अपनी ओर से पत्र लिखेगी| उन्होंने कहा कि यह ऐसा मुद्दा नहीं था कि इसे चार न्यायाधीशों द्वारा सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया जाए।
 
श्री मिश्रा ने उच्चतम न्यायालय के मौजूदा विवाद का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य नेताओं द्वारा राजनीतिकरण किए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायपालिका ने स्वयं ही इसका मौका दिया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बार काउंसिल ने राजनीतिक नेताओं से आग्रह किया कि वे इस मामले में राजनीति नहीं करें।
 
बार काउंसिल ने पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री और विधि मंत्री के रवैये की सराहना करते हुए कहा कि इन नेताओं ने अपनी ओर से न्यायपालिका के इस आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जो सराहनीय है।
 
उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन ने भी आज आपात बैठक की तथा मामले की विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। बार एसोसिएशन ने कहा कि चार न्यायाधीशों द्वारा उठाए गए मुद्दे गंभीर हैं | इन्हें अविलंब हल किया जाना चाहिए। एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित कर सुझाव दिया कि चार न्यायाधीशों और मुख्य न्यायाधीश के बीच पैदा हुए मतभेदों पर उच्चतम न्यायालय के पूर्ण पीठ में विचार किया जाना चाहिए। बैठक के बाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि संस्था का मानना है कि जनहित याचिकाओं का निपटारा मुख्य न्यायाधीश अथवा पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों द्वारा किया जाना चाहिए। इससे उच्चतम न्यायालय की विश्वसनीयता कायम होगी। एसोसिएशन ने कहा कि जिन जनहित याचिकाओं पर 15 जनवरी को सुनवाई होनी है उनके संबंध में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए।
 
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत के जज बीएच लोया की रहस्यमय मृत्यु के संबंध में उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर 15 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन पीठ के एक न्यायाधीश के अवकाश पर चले जाने के कारण सुनवाई टाल दी गई है।
 
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सिंह ने कहा कि संस्था का प्रतिनिधिमंडल आज की बैठक में पारित प्रस्तावों के साथ मुख्य न्यायाधीश से मिलेगा। यदि वह हमारे विचारों से सहमत हुए तो अन्य न्यायाधीशों के साथ बैठक की जाएगी।
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