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आसियान नेताओं का स्वागत करने के लिए उत्सुक है भारत : राधामोहन सिंह
By Deshwani | Publish Date: 12/1/2018 6:28:48 PM
आसियान नेताओं का स्वागत करने के लिए उत्सुक है भारत : राधामोहन सिंह

नई दिल्ली, (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने चतुर्थ आसियान-भारत के कृषि मंत्रियों की बैठक को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत के 1.35 बिलियन लोग अपने 69वें गणतंत्र दिवस समारोहों में मुख्य अतिथियों के रूप में आसियान नेताओं का स्वागत करने के लिए उत्सु्क हैं। आसियान समुदाय विजन 2025 तथा टिकाऊ विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन की दिशा में भारत आसियान देशों के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित किया जा सके और गरीबी का उन्मूलन किया जा सके। 

शुक्रवार को यहां आयोजित आसियान-भारत के कृषि मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत हमेशा आसियान देशों के साथ निकट सहयोग में कार्य करने हेतु उत्सुक रहा है| मुझे पूरा भरोसा है कि हम विगत वर्षों में की गई प्रगति के आधार पर इस क्षेत्र की जनसंख्याओं के लिए अधिक शांति, प्रगति एवं समृद्धि लाने में, अपनी साझेदारी का पूरी क्षमता से उपयोग कर सकते हैं। 

सिंह ने कहा कि आसियान समुदाय विजन 2025 तथा टिकाऊ विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन की दिशा में भारत आसियान देशों के साथ कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित किया जा सके और गरीबी का उन्मूलन किया जा सके। अन्य बातों के साथ-साथ ग्रामीण विकास एवं गरीबी उन्मूलन, कृषि, सामाजिक कल्याण एवं विकास तथा स्वास्थ्य के संबंध में आसियान निकायों के साथ हम अनेक क्षेत्रों में पारस्परिक निकट सहयोग चाहते हैं ताकि इस क्षेत्र में टिकाऊ एवं समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सके।

सिंह ने कहा कि कृषि एवं खाद्य सुरक्षा, भारत सरकार के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से हैं और उसका प्रमुख उद्देश्य एक पर्यावरण-अनुकूल वातावरण में किफायती मूल्य पर खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना है। कृषि हमारे क्षेत्र के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी जनसंख्या का अधिकांश हिस्सा अभी भी अपनी आजीविका अर्जित करने के लिए इसी पर निर्भर है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में बेशुमार सफलता अर्जित की है। पिछले दशकों के दौरान, भारत में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति हुई जिसने, खाद्य एवं दुग्ध उत्पादन में आत्मि-निर्भरता प्राप्त करने का रास्ता प्रशस्त किया। खाद्य एवं दुग्ध क्षेत्र में केवल आत्मनिर्भरता से आगे बढ़कर हमने बागवानी, मात्स्यिकी एवं दलहन उत्पादन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और अब हम कटाई उपरांत प्रबंधन तथा कोल्ड चेन ढांचें के विकास में सुधार लाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि कृषि आसियान के लिए भी समान रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि आसियान के अधिकांश देश भारत के समान ही कृषि अर्थव्यवस्था वाले देश हैं। आसियान और भारत भी जलवायु परिवर्तन, भू-आधार के सिकुड़ने, जल-संसाधनों की कमी, कृषि श्रम की कमी और राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता के साथ बढ़ती हुई लागत तथा अनिश्चितताओं जैसी समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि उच्चतर मूल्य वाली फसलों और पशुधन का विविधीकरण इसका समाधान होगा जिससे न केवल कृषि आय में सुधार होगा अपितु घटते प्राकृतिक संसाधनों पर दबाब भी कम होगा। सिंह ने कहा कि सीमा-पार से आने वाले रोग भी महत्वपूर्ण क्षेत्र बने हुए हैं जिन पर तत्काल ध्यान दिए जाने और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लिए चुनौतियां समान हैं और इनके प्रभाव प्राय: राष्ट्रीय सीमाओं को लांघ जाते हैं। इनका सामना करने के लिए हमारे देशों के बीच निकट सहयोग की आवश्यकता है। 

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