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लड़कियां इंजीनियरिंग के बजाय पारंपरिक शिक्षा को देती हैं तवज्जो
By Deshwani | Publish Date: 12/1/2018 4:48:18 PM
लड़कियां इंजीनियरिंग के बजाय पारंपरिक शिक्षा को देती हैं तवज्जो

नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' सहित अनेक अभियान चला रही है। बावजूद इसके देश में पढ़ने वाली अधिकांश छात्राएं उच्च शिक्षा के लिए अभी भी इंजीनियरिंग, बी.कॉम और अन्य रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के स्थान पर पारंपरिक पाठ्यक्रमों को ज्यादा महत्व दे रही हैं। 

 
केंद्र सरकार की ओर से उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2016-17 की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में केवल 10 पाठ्यक्रम ऐसे हैं जिनमें 84 प्रतिशत छात्रों ने दाखिला लिया है। सर्वे के अनुसार बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) में सबसे अधिक 97.3 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया, इसमें 53 प्रतिशत छात्राएं व 47 प्रतिशत छात्र हैं। इस वर्ष मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) में 15.7 लाख कुल छात्रों ने प्रवेश लिया इसमें 60.5 प्रतिशत संख्या लड़कियों की रही। साथ ही बी.ए. (ऑनर्स) में 15.1 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया| इसमें भी लड़कियों की भागीदारी 53.4 प्रतिशत रही जबकि लड़कों का प्रतिशत 46.6 रहा। 
 
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा क्षेत्र में करियर बनाने के लिए बी.एड. में 8.4 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया| इसमें 66.6 प्रतिशत के साथ लड़कियों का दबदबा रहा। एम.एस.सी. में 6.8 लाख छात्रों ने दाखिला लिया इसमें लड़कों का प्रतिशत 39.6 प्रतिशत है वहीं लड़कियों की संख्या 60.4 प्रतिशत दर्ज की गई।
 
बैचरल ऑफ साइंस (बीएससी) में 46.8 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया| इसमें 52 प्रतिशत लड़के थे। 39.9 लाख छात्रों ने बी.कॉम में प्रवेश लिया इसमें 52.5 प्रतिशत लड़के और 47.5 प्रतिशत लड़कियों की संख्या रही। बी.टेक में 21.7 लाख छात्रों ने दाखिला लिया जिसमें से 72.8 प्रतिशत छात्र थे जबकि 27.2 प्रतिशत छात्राएं रहीं। बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बी.ई.) के 19.1 लाख छात्रों में 71.1 प्रतिशत लड़कों की हिस्सेदारी रही। एमबीए में 5.4 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया| इसमें 60.2 प्रतिशत लड़के हैं जबकि 39.6 प्रतिशत लड़कियां हैं। बी.एस.सी (ऑनर्स) में 5.5 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया इसमें 56.5 प्रतिशत लड़के हैं।
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