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संसदीय शोध संस्थाओं को सुदृढ़ किया जाना चाहिए : सुमित्रा महाजन
By Deshwani | Publish Date: 10/1/2018 8:05:16 PM
संसदीय शोध संस्थाओं को सुदृढ़ किया जाना चाहिए : सुमित्रा महाजन

नई दिल्ली (हि.स.)। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा है कि आज के दौर में विधायकों की भूमिका बहुत व्यापक हो गई है और उनकी जिम्मेदारी बहुत अधिक बढ़ गई है क्योंकि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र की विकास सम्बन्धी जरूरतों के साथ ही अपने विधायी दायित्वों को भी निभाना होता है| उन्होंने टिप्पणी की कि वे विविध पृष्ठभूमि से आते हैं और उनके सामने बहुत से जटिल मुद्दे होते हैं| इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि उनकी सहायता के लिए सुनियोजित और प्रशिक्षित शोध और सूचना सेवा हो।

बुधवार को विक्टोरिया , सेशल्स में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 24वें सम्मलेन में “विधानमंडलों के प्रभावी कार्यकरण के लिए संसदीय शोध को सुदृढ़ बनाने” विषय पर मुख्य भाषण देते हुए श्रीमती महाजन ने कहा कि व्यावसायिक रूप से संगठित शोध सेवा से ये अपेक्षा की जाती है कि वे सदस्यों के काम आने वाले सभी पहलुओं के बारे में प्रमाण योग्य जानकारी, तुलनात्मक आंकड़े और विश्लेषणात्मक सामग्री प्रदान करें। महाजन ने इस बात पर जोर दिया कि सुदृढ़ संसदीय शोध सेवा की आवश्यकता विश्व के विकासशील लोकतंत्रों के लिए बहुत जरूरी है। 
लोकसभा अध्यक्ष ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में सांसदों की शोध आवश्यकताओं को “शोध और सूचना प्रभाग” तथा सदस्य सन्दर्भ सेवा” पूरा करती है जो लॉर्डिस (ग्रंथालय और शोध,सन्दर्भ ,प्रलेखन तथा सूचना सेवा) का एक भाग है । उन्होंने यह जानकारी भी दी की सेवा का प्रयास रहता है कि संसद सदस्यों को रोज़मर्रा की घटनाओं से अवगत रखा जाय और उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके| यह सेवा विभिन्न सामायिक मुद्दों पर सूचना विवरण पुस्तिका, बुलेटिन, टिप्पणी इत्यादि भी निकालती है। श्रीमती महाजन ने प्रतिनिधिमंडल को जानकारी दी कि भारत में एक नया मंच “ अध्यक्षीय शोध कदम” की 2015 में स्थापना की गई,ताकि राष्ट्रीय महत्व के नीतिगत मुद्दों के बारे में सांसदों को अलग स्तर की जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। 
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