नई दिल्ली (हि.स.)। नई दिल्ली में आयोजित हुए प्रथम प्रवासी भारतीय सांसद सम्मेलन को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक खुलासा किया। सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान अपने वक्तव्य में स्वराज ने बताया कि भारतीय मूल के सांसदों को अपनी मिट्टी से जोड़ने का विचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था।
दुनिया के 24 देशों से आए 141 भारतीय मूल के सांसदों को संबोधित करते हुए स्वराज ने कहा कि जब वे प्रवासी भारतीय दिवस के कार्यक्रम के बारे में प्रधानमंत्री से मंत्रणा करने गईं, तो उन्होंने ही ये विचार सामने रखा कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि हम दुनिया के देशों की संसद में मौजूद भारतीय मूल के सांसदों को इस बार आमंत्रित करें। प्रधानमंत्री के इस विचार को सभी ने सराहा और दुनिया के 28 से ज्यादा देशों में 270 से ज्यादा भारतीय मूल के सांसदों का पता लगाया। यदि भारतीय मूल के पूर्व सांसद, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राजनेताओं को गिना जाए, तो ये संख्या हजार से भी ज्यादा होगी।
स्वराज ने मेहमान प्रवासी सांसदों को बताया कि प्रवासी भारतीय दिवस मनाने की शुरूआत अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक्त हुई थी। तब ये तय किया गया कि 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाए, क्योंकि 9 जनवरी ही वो तारीख थी, जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। विदेश मंत्री ने कहा कि आज भी हमारे सबसे ज्यादा भारतीय मूल के सांसद गिरमिटिया देशों से आते हैं, जो कभी वहां गिरमिटिया मजदूरों के रूप में गए थे, लेकिन सदियों, दशकों की अपनी मेहनत से आज उन देशों की संसद तक पहुंचे हैं।
पहला प्रवासी सांसद सम्मेलन 9 जनवरी को दिल्ली में आयोजित हुआ, जिसमें 24 देशों से 141 भारतीय मूल के सांसदों ने शिरकत की। वैसे दुनिया के 28 से ज्यादा देशों में 270 से ज्यादा भारतीय मूल के सांसद हैं। ये पहली बार है जब भारत सरकार ने भारतीय मूल के सांसदों का ऐसा सम्मेलन आयोजित किया है।