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रेलवे ने शुरू की ड्रोन कैमरों से पटरियों की निगरानी
By Deshwani | Publish Date: 8/1/2018 7:44:35 PM

नई दिल्ली (हि.स.)। भारतीय रेलवे रेलमार्गों के रखरखाव तथा आधारभूत ढांचे के विकास के लिए चल रही विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी के लिए चालक रहित विमान कैमरों (ड्रोन) की तैनाती करेगा। ड्रोन में लगे कैमरे की प्रणाली नेत्र प्रायोगिक रूप से पश्चिम मध्य रेलवे में शुरू की गई है जिसका मुख्यालय जबलपुर (मध्य प्रदेश) में है। इस मंडल के जबलपुर, भोपाल और कोटा डिविजन में ड्रोन कैमरों का पिछले सप्ताह परीक्षण किया गया।

 
पश्चिम मध्य रेलवे मंडल में रेल मार्गों पर चल रहे निर्माण कार्यों और पुलों के रखरखाव की निगरानी के लिए भी ड्रोन कैमरों के प्रयोग की योजना है। भारतीय रेलवे ने अपने सभी मंडलों को निर्देश दिया है कि वे ड्रोन कैमरों का उपयोग शुरू करें। ड्रोन कैमरों का प्रयोग रेलवे यार्डों पर निगरानी रखने के अलावा मेला और पर्व संबंधी एकत्रीकरण के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भी किया जा सकेगा। 
 
रेल मंत्रालय ने सोमवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि ड्रोन कैमरों के माध्यम से राहत और बचाव अभियानों की निगरानी करने में मदद मिलेगी| साथ ही महत्वपूर्ण कार्यों, पटरियों की स्थिति और निरीक्षण कार्यों पर नजर रखी जाएगी। इन कैमरों के जरिए नॉन इंटरलॉकिंग कार्यों के मूल्यांकन की तैयारियों, मेलों के दौरान भीड़ के प्रबंधन, स्टेशनों के हवाई सर्वेक्षण और किसी गड़बड़ी को तुरंत चिन्हित करने में मदद मिलेगी। रेलवे के ढांचे, सुरक्षा और पटरियों की मरम्मत से जुड़ी किसी भी सूचना को रियल टाइम यानि वास्तविक समय प्राप्त करने में यह कैमरे बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगे।
 
पश्चिमी मध्य रेलवे ने पिछले सप्ताह इन कैमरों का अपने सभी तीन खंडों के निम्न स्थानों पर परीक्षण किया। जबलपुर खंड- भिटोनी के नजदीक नर्मदा पुल। भोपाल खंड- (1)- निशातपुरा पुल (2) एचबीजे और मिसरोद के मध्य तीसरी लाइन कार्य और कोटा खंड- (1) कोटा के नजदीक चंबल पुल (2)- कोटा के पास डकनिया तलाव यार्ड।
 
पश्चिमी मध्य रेलवे की भविष्य में बीना-कटनी तीसरी लाइन, कटनी-सिंगरौली लाइन के दोहरीकरण परियोजना की निगरानी के लिए ड्रोन को तैनात करने की योजना है। महत्वपूर्ण पुलों के निरीक्षण, भोपाल और जबलपुर घाट प्रखंडों में मॉनसून की तैयारियों से जुड़े कार्यों में भी ड्रोन की मदद ली जाएगी। इससे पहले जबलपुर यार्ड की विद्युतिकरण परियोजना की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का प्रयोग किया गया था।
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