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पांच साल में पर्यटन और तीर्थ स्थलों को मिलीं केवल सात ट्रेनें
By Deshwani | Publish Date: 8/1/2018 3:31:13 PM
पांच साल में पर्यटन और तीर्थ स्थलों को मिलीं केवल सात ट्रेनें

नई दिल्ली (हि.स.)। भारतीय रेल ने पिछले पांच सालों में करीब 600 ट्रेनों को देशभर में विभिन्न स्थलों में शामिल किया लेकिन, इनमें से केवल सात ट्रेनों को पर्यटन और तीर्थ यात्रा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया। आलम यह है कि तिरूपति और शिर्डी जैसे तीर्थस्थल केवल दो मेल व एक्सप्रेस और एक साप्ताहिक विशेष रेलगाड़ी से जुड़े हुए हैं। एक संसदीय समिति ने रेलवे को आय बढ़ाने की सलाह देते हुए कहा कि यदि रेलवे को अपने राजस्व में वृद्धि करनी है, तो उन क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा जो पर्यटन, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले हैं और रेल से जुड़े नहीं हैं। 

 
रेल संबंधी स्थायी समिति (2017-18) के सभापति सुदीप बंदोपाध्याय ने रेल संबंधी स्थायी समिति के “पर्यटन संवर्धन और तीर्थाटन सर्किट” विषय के संबंध में समिति का अठारहवां प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। प्रतिवेदन में समिति ने कहा है कि देश के कई पर्यटक व तीर्थ स्थल रेल संपर्क से जुड़े हुए हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तरी केरल और पूर्वोत्तर जैसे पर्यटन के लिहाज से खासा महत्व रखने वाले राज्यों में रेलवे की मौजूदगी बेहद कम है। समिति ने घाटी, पूर्वोत्तर राज्यों और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में रेल यातायात को विकसित करने की योजना पर बल दिया है। समिति का मानना है कि यदि रेलवे को अपने राजस्व में वृद्धि करनी है, तो उन क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा जो पर्यटन/ऐतिहासिक/ धार्मिक महत्व वाले हैं और रेल से जुड़े नहीं हैं।
 
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय रेल ने पिछले पांच सालों (2011-16) में करीब 600 ट्रेनों को देशभर में विभिन्न स्थलों में शामिल किया था। लेकिन, इन 600 में से केवल पर्यटन और तीर्थ यात्रा को बढ़ावा देने के लिए केवल सात ट्रेनों को समर्पित किया गया है। 2016-17 में केवल दो और ट्रेनें, टाइगर एक्सप्रेस और अस्था सर्किट की शुरुआत की गई है। समिति ने नोट किया कि तिरूपति और शिर्डी केवल दो मेल व एक्सप्रेस रेलगाड़ियों और एक साप्ताहिक विशेष रेलगाड़ी से जुड़े हुए हैं। इन दो स्टेशनों के मध्य यात्रियों की मांग और यात्रा करने वाले लोगों की संख्या को ध्यान में रखते हुए समिति ने तिरूपति और शिर्डी के मध्य और रेलगाड़ियों को चलाने तथा देश के अन्य हिस्सों से इन स्टेशनों की कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए भी मंत्रालय द्वारा सभी संभावनाओं को शीघ्र तलाशे जाने की पुरजोर सिफारिश की।
 
समिति ने पर्यटन तथा तीर्थाटन के महत्व वाले स्थलों को तलाशने तथा उनकी पहचान करने के लिए मंत्रालय को जोनल स्तर पर एक समिति बनाने का परामर्श दिया जिसमें रेलवे का योगदान अपेक्षित होगा। जोनल स्तर पर समिति में संबंधित जोन के संसद सदस्य, स्थानीय निकायों, सिविल सोसायटियों के प्रतिनिधि और रेलवे, जिला प्रशासन तथा पर्यटन विभाग के भी पदाधिकारी शामिल हो सकते हैं। ऐसी समावेशी पहल रेलवे के लिए वृद्धि के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ समाज तथा सरकार के विभिन्न तबकों के मध्य सामंजस्य भी लाएगी। 
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