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40 साल पुरानी दवाई से हम कर रहे टीबी का इलाजः संसदीय समिति
By Deshwani | Publish Date: 7/1/2018 4:47:26 PM
40 साल पुरानी दवाई से हम कर रहे टीबी का इलाजः संसदीय समिति

नई दिल्ली, (हि.स.)। दुनिया का सबसे बड़ा टीबी प्रभावित क्षेत्र रहने के बावजूद भारत सरकार इसके इलाज पर जरूरी ध्यान नहीं दे रहा है। एक्सटेंसिव ड्रग रेसिसटेंट एवं मल्टी ड्रग्स प्रतिरोध की घटना देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आम है। इस मामले में देश में अभी तक अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से 40 साल पूर्व अनुमोदित दवा बिडक्विलीन का प्रयोग किया जा रहा है।

स्वास्थ्य पर बनी स्थायी संसदीय समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि मल्टी ड्रग रेसिसटेंट टीबी (एमआरडीटीबी) की रोकथाम के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को अपने अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके चलते समिति ने परिषद से कई बार जानकारी मांगी है।

समिति की इस चिंता के समाधान के लिए आईसीएमआर ने जैव प्राद्योगिकी विभाग व स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर एमआरडीटीबी की पहचान के लिए देसी डायग्नोस्टिक किट (ट्रूनैट रिफ) लोगों में बांटने के प्रस्ताव का आकलन कर रहा है कि इस दवा का इलाज के क्षेत्र में कितना असर पड़ रहा है। हालांकि ट्रूनैट रिफ तीव्र व असरदार आयाम है। साथ ही इसे आरएनटीपीसी (रिवाइज़्ड नेशनल डीबी कंट्रोल प्रोग्राम) के तहत चलाई जा रही गतिविधियों से बेहतर बताया जा रहा है। ट्रूनैट रिफ को आरएनटीपीसी के तहत भी समाहित किया जा सकता है। इससे एमडीआरटीबी के प्रारंभिक रोग पड़ताल में भी सुविधा हो रही है। इसलिए इस किट का आरएनटीपीसी के अंतर्गत व्यवहारिकता का अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही आईसीएमआर नई दवाईयों को भी परखने का काम क्लिनिकल ट्रायल के जरिये कर रहा है। 
इतना ही नहीं, आईआईटी मद्रास एवं पेरियार विश्वविद्यालय के सहयोग से नेशनल इंस्टिट्यूट अॉफ रिसर्च इन ट्यूबरक्यूलॉसिस की ओर से नये ट्रांजिटमाइसीन की खोज की गई है। अध्ययनों में इसे काफी असरदार पाया गया है। इसे मानव ट्रायलों से गुजारा जाना बांकी है लेकिन इतना होते हुए भी अगर समिति टीबी रोग के इलाज के लिए चिंतित है तो यह हमारे लिए चिंतित का विषय है कि इस समस्या का समाधान जल्द कैसे होगा। इस मामले के विशेषज्ञ डॉ बलराज गुप्ता बताते हैं कि टीबी एड्स से पीड़ित मरीजों के लिए भी जानलेवा खतरा है। एस आंकड़े के मुताबिक हमारे देश में 2016 के दौरान 2.79 मिलियन लोग टीबी से पीड़ित थे और इसमें टीबी के साथ एड्स से पीड़ित लोगों की संख्या 2016 के दौरान 87 हजार थी।
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