नई दिल्ली, (हि.स.)। अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (ओबीसी आयोग) को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद देश में एक ऐसी भी व्यवस्था बन सकती है जिसके तहत ओबीसी समाज के किसी व्यक्ति का शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान होने के बाद उसे दोबारा आरक्षण की सुविधा न मिले।
भाजपा सांसद गणेश सिंह का मानना है कि क्रीमी लेयर की जो व्यवस्था है उसे समाप्त कर देना चाहिए। ‘हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी’ से बातचीत में उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर की जो सीमा छह लाख थी उसे बढ़ाकर अब 8 लाख कर दिया गया है। जिसकी आमदनी 8 लाख सालाना है उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। सरकारी विभागों में योग्य उम्मीदवार और बैकलॉग खाली पड़े रहते हैं। इसका कारण यह है कि योग्य उम्मीदवार क्रीमी लेयर के चलते बाहर हो जाता है।
ऐसे में मेरा मानना है कि क्रीमी लेयर को खत्म करना चाहिए क्योंकि इसके चलते सारे लोग आरक्षण के दायरे से बाहर हो गए हैं जो ओबीसी श्रेणी में हैं। ऐसे में क्रीमिलेयर को समाप्त कर जिन वर्गों को पिछड़े वर्गों में शामिल किया गया है उनको एक बार अवश्य आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए ताकि उनका शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक उत्थान हो सके।
उसके बाद उनको दोबारा आरक्षण का मौका नहीं दिया जाना चाहिए या यूं कहें कि उनको स्वतः ही आरक्षण लेने से इंकार कर देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने अति पिछड़ों का भी पता लगाने के लिए एक समिति गठित की है। यह समिति ऐसे लोगों का पता लगा रही है जिनको अब तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला।
संसद की अन्य पिछड़ी जातियों संबंधी समिति के अध्यक्ष गणेश सिंह ऐसी ही व्यवस्था की पैरोकारी करते हुए कहते हैं कि 'मैं स्वयं पिछड़े वर्ग से हूं और आज सांसद हूं तो मुझे या मेरे बच्चों को अब आरक्षण की जरूरत नहीं है क्योंकि हमारा शैक्षिक, सामाजिक उत्थान हो गया है। उनका कहना है कि ऐसी व्यवस्था बने या न बने ये दीगर बात है, जिसको एक बार आरक्षण का लाभ मिल जाए, उसका उत्थान हो जाए तो उसे स्वतः ही आगे आकर आरक्षण से इंकार करना चाहिए।'