नई दिल्ली, (हि.स.) । कांग्रेस ने रविवार को एकबार फिर से जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि केंद्र ने अगर अपने रवैये में परिवर्तन नहीं लाया तो इसका खमियाजा जम्मू-कश्मीर की जनता को ही भुगतना पड़ेगा, और देश राजनीतिक समाधान पाने का अवसर खो सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने आज सुबह सिलसिलेवार ट्वीट कर जम्मू कश्मीर मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखी। खास बात ये है कि चिदंबरम ने जम्मू कश्मीर में बेहतरीन प्रयास करने वालों में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भी प्रशंसा की है। उल्लेखनीय है कि गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान जम्मू कश्मीर को अधिक स्वायत्तता देने की मांग की थी। उनके इस बयान से पार्टी ने किनारा कर लिया था।
कांग्रेस नेता ने कहा, 'समय-समय पर हमें बड़ी निर्ममता से यह याद दिलाया जाता रहा है कि ये मसला जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखता है। ताजा घटना 30-31 दिसम्बर, 2017 की रात को हुई, जब आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के लेटपोरा स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस फ़ोर्स (सीआरपीएफ) के प्रशिक्षण केंद्र पर हमला किया, जिसमें पांच जवान शहीद हो गए।'
चिदंबरम ने कहा, 'गुजरात चुनाव से ठीक पहले केंद्र ने दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया, पर यह स्पष्ट नहीं था कि उनके अधिकार क्या-क्या है। बाद में यह बताया गया कि वे किसी से भी बात कर सकते हैं, जो उनसे मिलना चाहेगा, इसीमें एक झूठ है।'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ' ये दावा किया गया कि सख्त, मजबूत, ताकत के रुख से ही घुसपैठ और आतंकवाद का खात्मा होगा। क्या ऐसा हो पाया है? तालिका पर नजर डालें।' उन्होंने एक तालिका साझा की है जिसके अनुसार, 2014 में 28 नागरिक, 110 आतंकी और 47 जवान शहीद हुए थे। वहीं वर्ष 2017 में 57 नागरिक, 218 आतंकी और 83 जवान शहीद हुए है।
उन्होंने कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह, दोनों हमेशा याद किए जाएंगे कि उन्होंने ऐसा समाधान निकालने के लिए बेहतरीन प्रयास किए। कई मौकों पर वैसा समाधान हमारे नजदीक आता मालूम हुआ, पर अगर वैसा था भी, तो वह समाधान हमारे हाथ से निकल गया। मौजूदा सरकार की गलती ये है कि वे कोई समाधान चाहते ही नहीं है न संजीदगी से प्रयासरत है। सरकार ने प्रदेश में सभी घटकों से बातचीत के दरवाजे बंद करके इसने कम से कम निकट भविष्य में समाधान के लिए कोई गुंजाइश तो नहीं छोड़ी है। लेकिन,अब भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। मैं वार्ताकार की नियुक्ति का समर्थन करता हूं, पर यह कदम एक समग्र एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए था।'
चिदंबरम ने कहा, 'मैं अपने हर शब्द पर कायम हूं। अगर आप सोचते हैं कि सरकार के सख्त और सैन्यवादी रुख को एक मौका दिया जाना चाहिए, तो तालिका पर फिर से नजर डालें। आपको अपनी राय बदलनी पड़ सकती है।'
वहीं इसी मसले पर कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, 'मोदी की बयानबाजी बदल गई है। प्रतिदिन देश के जवान, पुलिसकर्मी शहीद हो रहे है। क्या सरकार बताएगी ये कब बंद होगा?, कब हम जिंदगियां गंवाना बंद करेंगे ?'