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चिल्का झील के संरक्षण के लिए ओएनजीसी के प्रयास से प्रेरणा ले कोर्पोरेट जगत : धर्मेन्द्र प्रधान
By Deshwani | Publish Date: 6/1/2018 4:26:56 PM
चिल्का झील के संरक्षण के लिए ओएनजीसी के प्रयास से प्रेरणा ले कोर्पोरेट जगत : धर्मेन्द्र प्रधान

नई दिल्ली (हि.स.)। तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) ने शनिवार को दिल्ली में ओडिशा की हल्के खारे पानी की झील ‘चिल्का’ को विश्व धरोहर बनाने की दिशा में प्रयास के तौर पर एक चित्र प्रदर्शनी और संगोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से एक नैसर्गिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में ओएनजीसी का यह प्रयास कोर्पोरेट जगत के लिए एक प्रेरणा का विषय है। 

चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भुवनेश्वर बर्ड वॉक और ओएनजीसी ने मिलकर चिल्का झील और मंगलाजोड़ी पक्षी अभयारण्य को ज्यादा से ज्यादा लोग देखने आयें और राजधानी दिल्ली में इस बारे में चर्चा हो उस दिशा में प्रयास किया है। एक एनर्जी कंपनी अपनी सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से एक नैसर्गिक धरोहर संरक्षण करने में बढ़ाने की जिम्मेदारी ली है| यह कोर्पोरेट वर्ल्ड के लिए एक प्रेरणा का विषय है।’’ 
दिल्ली के इंडिया हेबिटेट सेंटर में आयोजित इस प्रदर्शनी व संगोष्ठी कार्यक्रम में श्री प्रधान ने कहा कि चिल्का एशिया की खारे पानी की सबसे बड़ी झील है। सर्दियों से यहां साइबेरिया से पक्षी आते हैं। मंगलाजोड़ी एक पक्षी अभयारण्य है। ओएनजीसी यूनेस्को के साथ मिलकर सरकार के साथ सहयोग करते हुए उसे विश्व धरोहर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। 
इस अवसर पर ओएनजीसी के प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने कहा कि ओएनजीसी चिल्का झील के विकास के लिए प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि चिल्का झील के नज़दीक सीएसआर गतिविधियों के माध्यम से मंगलाजोड़ी गांव के लिए परियोजनायें लाया है। इसके तहत सौर ऊर्जा से जलने वाली स्ट्रीट लाइट, घरों में व्यक्तिगत उपयोग संबंधी शौचालय बनाना, पर्यटकों के लिए समुदायिक शौचालय, हैंडपंप व सड़क निर्माण जैसे कार्य कर रहा है। 
संगोष्ठी में भारत में जपान के राजदूत केनजी हिरामात्सु, वन्यजीव संरक्षणवादी नेहा सिन्हा, पक्षी विज्ञानी बिक्रम ग्रेवाल, डॉ. अजीत पटनायक और ओएनजीसी के मानव संसाधन निदेशक डीडी मिश्रा ने भाग लिया। 
उल्लेखनीय है कि चिल्का झील उड़ीसा की समुद्री अप्रवाही जल से बनी झील है। यह भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। उड़ीसा के तटीय भाग में नाशपाती की आकृति में यह पुरी जिले में स्थित है। यह 11 सौ वर्ग किमी में फैली है। दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है किन्तु वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। इस झील के पारिस्थितिक तंत्र में बेहद जैव विविधताएँ हैं। यह एक विशाल मछली पकड़ने की जगह है। यह झील 132 गाँवों में रह रहे 1 लाख 50 हजार मछुआरों को आजीविका का साधन उपलब्ध कराती है। मंगलाजोड़ी चिलका झील के उत्तरी किनारे पर उड़ीसा के खोरदा जिले के उड़ीसा ब्लॉक के तंगा के अंतर्गत एक गांव है। इस गांव की सुंदरता और इसकी विशाल झीलें आगंतुकों को आकर्षित करती हैं। इसकी विशाल झीलें हजारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती हैं, जो दुनिया के दूर-दूर तक के स्थानों से यहां आते हैं। इसकी आर्टेलैंड अब पीक सीजन में 1.5 लाख से अधिक पक्षियों की मेजबानी करता है। एक अद्भुत अनुभव का आनंद लेने के लिए यहां आने का सही समय नवंबर से मार्च का है। 
 
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