डॉ. कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी व परवेज हाशमी को राज्यसभा से दी गयी विदाई
नई दिल्ली, (हि.स.)। राज्यसभा ने शुक्रवार को अपने तीन वरिष्ठ सदस्यों डॉ. कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी और परवेज हाशमी को विदाई दी तथा संसदीय कार्यवाही में उनके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
कांग्रेस से संबंधित यह तीनों सदस्य दिल्ली से राज्यसभा के लिए चुने गए थे और 27 जनवरी को उनका 6 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है।
सभापति ने संसदीय कार्यवाही को गरिमा और गंभीरता प्रदान करने के लिए डॉ. कर्ण सिंह की सराहना की। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने डॉ. सिंह की लम्बी राजनीतिक यात्रा का जिक्र करते हुए उनके व्यक्तित्व और कृतत्व को अनुकरणीय बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि देश को डॉ. सिंह से भविष्य में भी मार्गदर्शन मिलता रहेगा।
आजाद ने कहा कि डॉ सिंह का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने लायक है क्योंकि वह 18 वर्ष की उम्र में राष्ट्रप्रमुख (हेड ऑफ स्टेट) बन गए थे। वह आजादी के बाद कुछ वर्षों तक कश्मीर के सदरे रियासत रहे । रविशंकर प्रसाद ने डॉ सिंह को ‘दार्शनिक’ राजा (फिलोस्फर किंग) की संज्ञा दी।
डॉ सिंह ने विदाई संबोधन में कहा कि उन्हें देश की आजादी के बाद बने सभी प्रधानमंत्रियों के संपर्क में रहने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि पंडित जवाहलाल नेहरू से लेकर नरेन्द्र मोदी तक सभी प्रधानमंत्री अपने-अपने तरीके से राष्ट्र निर्माण के लिए प्रयत्नशील रहे हैं। डॉ. सिंह ने सदन की कार्यवाही के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि 50 वर्ष पूर्व जब वह संसद में आए थे तब उस समय संसद में दिग्गज नेता थे जिनके सारगर्वित भाषणों से सभी को ज्ञान और प्रेरणा मिलती थी। आज संसद में इसका अभाव है और कार्यवाही में व्यवधान दिखाई देता है।
अपनी विद्वता के अनुरुप डॉ. सिंह ने उपनिषदों, भागवत गीता और अन्य ग्रंथों से उदारहण देते हुए कहा कि भारत विविध धर्मों संस्कृतियों और भाषाओं वाला देश है जिसकी राजनीति और समाज उच्च मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत है। इस विरासत को बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।