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डेंगू इलाज के अनुसंधान पर भारत सरकार संजीदा नहीं !
By Deshwani | Publish Date: 5/1/2018 5:09:52 PM
डेंगू इलाज के अनुसंधान पर भारत सरकार संजीदा नहीं !

नई दिल्ली, (हि.स.)। भारत सरकार डेंगू के मामले में शायद संजीदा नहीं है। अगर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों पर गौर किया जाए तो लगता है सरकार का इस तरफ ध्यान ही नहीं है। समिति की सिफारिश में कहा गया है कि डेंगू से संबंधित टीके के विकास की प्रक्रिया में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की प्रत्यक्ष भागीदारी ही नहीं है जबकि परिषद स्वास्थ्य से एेसी एजेंसी है जो सारे अनुसंधान कार्यों को अंजाम देती है। यही नहीं, सरकार की ओर से समिति को यह भी कहा गया है कि डेंगू के टीके के विकास के लिए अभी तक कोई खर्च ही नहीं किया गया है। हालांकि डेंगू के संक्रमण की जानकारी देने के लिए देश में महामारी निरोध अधिनियम जैसा कानून जरूर बना हुआ है जिसके तहत डेंगू मरीज की जानकारी सरकारी अमले को दिया जाना जरूरी है। समिति को इस मामले में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के तहत यह भी कहा गया है कि मौजूदा वक्त में डेंगू के लिए एक मात्र उपलब्ध टीका सनोफी पास्चर का डेंगवाक्सिया है। हालांकि इसमें यह जरूर कहा गया है कि आईसीएमआर इस मामले में एक सर्वेक्षण कर रही है। इसके अंतर्गत चिकनगुनिया के विषाणुओं की भी जांच की जाएगी। लेकिन इस मामले के विशेषज्ञ इस पर प्रश्न उठा रहे हैं कि जब सरकार टीके के अनुसंधान पर पैसे ही खर्च नहीं कर रही है तो फिर सर्वेक्षण का क्या औचित्य है। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. के.के. अग्रवाल कहते हैं कि यह चिंतनीय स्थिति है क्योंकि देश के कई राज्य डेंगू की जद में आ गए हैं। 
उल्लेखनीय है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 के दौरान देश में एक लाख 11 हजार डेंगू के मामले सामने आए थे। इसमें से 227 मामलों में मरीज की मौत हो गई। लेकिन 2017 के दौरान डेंगू मरीजों की संख्या घटकर 18 हजार 7 सौ हो गई। हालांकि 2017 के दौरान केरल में डेंगू मरीजों की संख्या सर्वाधिक 9 हजार 104 थी। 4 हजार 174 मरीजों के साथ तमिलनाडु इस मामले दूसरे स्थान पर था। वहीं जुलाई 2017 तक कर्नाटक में डेंगू के 1 हजार 945, गुजरात में 616, आंध्र प्रदेश में 606 व बंगाल में 469 मामले सामने आए।
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