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बालिग युवती अपने भविष्य का फैसला खुद ले सकती है : सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 5/1/2018 5:08:59 PMनई दिल्ली, (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोई बालिग युवती अपने भविष्य का फैसला खुद ले सकती है। कोर्ट उसके सुपर अभिभावक का रोल नहीं निभा सकती है। एक महिला द्वारा अपनी बालिग बेटी को अपने साथ रखने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि किसी बालिग को ये फैसला करने का अधिकार है कि वो किसके साथ रहे। वह जहां जाना चाहे, जा सकती है।
याचिकाकर्ता महिला ने अपनी बालिग बेटी को अपने साथ रखने की मांग की थी। लेकिन जब लड़की सितंबर 2016 में बालिग हुई तो वो अपने पिता के साथ कुवैत जाकर रहना चाहती थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के पक्ष में फैमिली कोर्ट के पहले के दो आदेशों का भी हवाला दिया। फैमिली कोर्ट के आदेश के आधार पर महिला ने लड़की के पिता के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि जब लड़की बालिग हो गई है तो उसे अपने फैसले लेने का हक है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली ये वही बेंच है जिसने केरल की लड़की हदिया को उसकी मर्जी के मुताबिक अपने मुस्लिम पति के साथ नहीं भेजा और उसे पढ़ाई पूरी करने के लिए तमिलनाडु के सलेम में होम्योपैथिक कॉलेज भेज दिया था।