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बीएचयू में भेदभाव : याचिका दायर होने पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
By Deshwani | Publish Date: 4/1/2018 7:29:25 PM नई दिल्ली, (हि.स.)। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय के हॉस्टल की छात्राओं के लिए कॉलेज द्वारा बनाए गए नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि अगर मेरी बेटी भी देर से लौटती है तो उसके साथ मेरी पत्नी या मैं खुद साथ में रहता हूं। जस्टिस अरुण मिश्रा लड़कियों के लिए कर्फ्यू का समय शाम आठ बजे से करने पर टिप्पणी कर रहे थे।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने बीएचयू के इस फैसले को भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि लड़कों के लिए कर्फ्यू का समय रात दस बजे से शुरू होता है जबकि लड़कियों के लिए यह समय आठ बजे से शुरू हो जाता है।
प्रशांत भूषण ने छात्राओं की तरफ से कहा कि छात्राओं को अपने हॉस्टल में मुफ्त वाई-फाई से इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी रोक है। छात्राएं मेस में अपनी पसंद का कपड़ा भी नहीं पहन सकती हैं। छात्राओं को कालेज कैंपस में मांसाहारी भोजन की मनाही है जबकि छात्र जो चाहे खा सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या इस बारे में कोई लिखित आदेश है जिसके आधार पर हम कोई आदेश पारित करें। कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि आप किसी पीड़ित लड़की को पेश करें या कोई पीड़ित लड़की याचिका दायर करे। कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि आप उस याचिकाकर्ता लड़की का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।