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रोग प्रतिरोधक एंटीबॉयटिक्स पर चिकित्सा विभाग गंभीर नहीं : संसदीय समिति
By Deshwani | Publish Date: 3/1/2018 3:19:46 PM
रोग प्रतिरोधक एंटीबॉयटिक्स पर चिकित्सा विभाग गंभीर नहीं : संसदीय समिति

नई दिल्ली, (हि.स.)। चिकित्सा संबंधी स्थायी संसदीय समिति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पूरे देश में सिर्फ 20 अस्पतालों के लिए एंटिबायोटिक उपयोग पर गाइडलाइन जारी किए हैं। समिति ने इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए कहा है कि आईसीएमआर को प्राथमिकता के आधार पर एंटिबायोटिक्स सहित एंटिमायक्रोबियल प्रतिरोध पर योजना बनाने की जरूरत है। समिति ने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर एंटिबायोटिक्स के लिए चिकित्सा संघों, उद्योग संघों, मेडिकल, अकेडमी व मीडिया के सहयोग की जरूरत है। इसलिए आईसीएमआर इन समुदायों की मदद लेकर योजना बनाए और इसे लागू करने में भी इन संस्थानों व समुदायों की मदद ले। इसके तहत वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के सहयोग से सभी सरकारी एजेंसियों की ओर से विशिष्ट राष्ट्रीय एक्शन प्लान (एनएनपी) तैयार किया गया। एनएनपी के अंतर्गत आईसीएमआर एक प्रमुख भागीदार के रूप में काम कर रहा है। साथ ही आईसीएमआर ने 30 अस्पतालों के डाक्टरों को एंटिमायक्रोबियल की सलाह देने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
इस बीच डाक्टर जालंधर में प्रैक्टिस करने वाले डाक्टर मुकेश गुप्ता बताते हैं कि एंटिबायोटिक्स का प्रयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए लेकिन सरकारी नीति एेसी नहीं है। नेशनल मेडिकल कमीशन बिल की चर्चा करते हुए डा. गुप्ता ने कहा कि यह मरीजों के लिए जानलेवा सरकारी नीति है। इसलिए मेडिकल एसोसिएशन इस बिल का विरोध कर रही है। 
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