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अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट इटावा सफारी पार्क पर छाए संकट के बादल
By Deshwani | Publish Date: 2/1/2018 4:44:26 PM
अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट इटावा सफारी पार्क पर छाए संकट के बादल

इटावा, (हि.स.)। चंबल की बदनाम छवि से मुक्ति दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के सपने को साकार करने के इरादे से दुर्गम बीहड़ों में लाइन सफारी का निर्माण शुरू कराया, लेकिन इस पर अब संकट के बाद छा गए हैं। यहां एक के बाद एक करके दुर्लभ वन्यजीवों की मौत होती चली जा रही है। इसे सफारी को आम लोगों के लिए खोलने की दिशा में सबसे बड़ी बाधा के तौर पर देखा जा रहा है।
इटावा सफारी पार्क में शंकर भालू की मौत
इटावा सफारी पार्क में छह महीने पहले लाए गए चार भालुओं में से एक शंकर भालू की 24 दिसम्बर की सुबह मौत हो गई। वह टीबी रोग से बीमार बताया गया है। सफारी में इन भालुओं को ओडिशा के नंदनकानन पार्क व रांची चिड़ियाघर से लाया गया था।
सफारी में अब तक एक दर्जन वन्य जीवों की मौत
इटावा सफारी पार्क के बनने से लेकर अब तक एक दर्जन वन्य जीवों की मौत हो चुकी है। इनमें से दो शेर व एक शेरनी तथा पांच शावक शामिल हैं। इसी तरह सितम्बर के महीने में बीहड़ क्षेत्र से घायल हुए तेंदुए के एक बच्चे को सफारी में लाया गया था, उसकी भी चार दिन बाद मौत हो गई थी। अब यह सवाल उठ रहा है कि तेंदुए के बच्चे को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की अनुमति के बिना सफारी में कैसे रखा गया और सफारी में उसकी मौत भी हो गई। 
30 अक्टूबर 2014 से शुरू हुआ मौतों का सिलसिला
30 अक्टूबर 2014 को लॉयन सफारी में हैदराबाद से लाए गए शेरों के जोड़े में शामिल शेरनी लक्ष्मी की मौत हुई थी। उसके बाद से सफारी में मौतों का जो सिलसिला शुरू हुआ वह रुकने का नाम नहीं ले रहा है। गुजरात से लाई गई स्वस्थ शेरनी तपस्या ने तो 15 दिन के अंदर ही सफारी में पहुंचते ही दम तोड़ दिया था। इतने दिन वह क्वारेनटाइन हाउस में रही थी और ब्रीडिंग सेंटर में पहुंचने से पहले ही दुनिया से चली गई। 
रुपक डे को भेजा गया था इटावा
इटावा सफारी पार्क में जुलाई 2015 में एक-एक करके चार शावकों की मौत के बाद पूरे प्रदेश के वन विभाग में हड़कम्प मच गया था। तब वन विभाग के सबसे बड़े अधिकारी रूपक डे को शासन ने इटावा भेजा था और उन्हें इटावा सफारी पार्क की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने काफी दिनों तक इटावा में कैम्प किया। हालांकि उसके बाद 14 अगस्त को आखिरी शावक की भी मौत हो गई थी।
इटावा सफारी पार्क बना मॉडल सफारी
इटावा सफारी पार्क देश के दूसरे राज्यों के लिए मॉडल सफारी बन गया है। बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, महाराष्ट्र और हरियाणा राज्यों की सरकारें अपने यहां पर इटावा सफारी पार्क की तर्ज पर सफारी के निर्माण का खाका तैयार करने में जुटी गई हैं। 
योगी सरकार में उपेक्षा का शिकार 
अखिलेश राज से निर्मित कराये जा रहे इटावा सफारी पार्क को योगी आदित्यनाथ सरकार में लगातार उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। योगी सरकार के तमाम मंत्री और सत्तारूढ दल के प्रतिनिधि इटावा सफारी पार्क में मौज मस्ती करने के इरादे से घूमने के लिए पहुंचे रहे हैं लेकिन वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने यहां आने की जहमत आज तक नहीं उठाई है। वन मंत्री के यहां आये बगैर सफारी पार्क के शुभांरभ का रास्ता नहीं खुल सकता है।
20 करोड़ की दरकार 
आवास विकास परिषद के अधिशाषी अभियंता अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि इटावा सफारी पार्क को पूरा करने के लिए बीस करोड़ रुपये की दरकार है। पुराना भुगतान करीब 18 करोड़ रुपया बकाया है। दो करोड़ से लास्ट फिनशिंग वर्क पूरा होना है लेकिन कई दफा प्रस्ताव भेजे जाने के बाद भी बजट जारी नहीं किया जा रहा है जिससे इटावा सफारी पार्क का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है।
विदेशी विशेषज्ञों की कोशिश नाकाम 
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट पर छाये संकट के बादलों को खत्म करने के लिए लंदन और अमेरिका से भी विदेशी विशेषज्ञों की टीमों को बुलाया था लेकिन उनकी भी कोशिश सार्थक होती हुई नजर नहीं आ रही है।
वन्य जीवों की मौत (वर्ष)
शेरनी लक्ष्मी 30 अक्टूबर 2014
शेर विष्णु 16 नवम्बर 2014
शेरनी तपस्या 8 जनवरी 2016
शेर कुबेर 2 जून 2016
शेरनी ग्रीष्मा 8 नवम्बर 2016
शेरनी हीर के दो शावक 18 जुलाई 2015
शेरनी ग्रीष्मा के दो शावक 21 जुलाई 2015
शेरनी ग्रीष्मा का एक शावक 14 अगस्त 2015
बीहड़ से लाया गया घायल लैपर्ड शिशु 27 सितम्बर 2017
शंकर भालू 24 दिसम्बर 2017
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